उत्तर प्रदेश कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रह चुके खुर्शीद ने कहा कि कॉन्ग्रेस एकजुट होकर हार का विश्लेषण नहीं कर सकी क्योंकि उनका नेता ही उन्हें छोड़ कर चला गया। खुर्शीद ने सोनिया गाँधी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने पर भी नाराज़गी जताई।
जो पूर्व सांसद सरकारी आवास खाली करने में आनाकानी कर रहे हैं, उनके घर में बिजली और पानी की सप्लाई काट दी जाएगी। कॉन्ग्रेस नेता आनंद शर्मा ने इसे 'मोदी की मनमानी' बताते हुए कहा कि पूर्व सांसदों को क्लर्क से भी कम वेतन मिलता है।
विपक्षी दलों की बात की जाए तो लोकसभा में कॉन्ग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, डीएमके लीडर टीआर बालू को भी पहली कतार में स्थान दिया गया है। जेडीयू, तृणमूल कांग्रेस और वाईएसआर कांग्रेस के कुछ सदस्यों को भी प्रथम पंक्ति में जगह मिली है।
संसद में सीटों का आवंटन लोकसभा संचालन की प्रक्रिया और आचरण के नियम 4 के तहत सदन के अध्यक्ष करते हैं। नियम यह भी कहते हैं कि सीटों के आवंटन में अध्यक्ष अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं। हर पंक्ति में पांच या उससे अधिक सदस्यों वाले पार्टी को सीट आवंटित करने का एक फॉर्मूला है।
कॉन्ग्रेस के विरोध का जवाब देते हुए संस्कृति मंत्री ने कहा कि इतिहास की बात कर रहे कॉन्ग्रेस सदस्य रिकॉर्ड पलट कर देख लें। कॉन्ग्रेस ने पिछले 40-50 वर्षों में स्मारक के लिए कुछ भी नहीं किया है।
2013 में BSP सांसद रहते हुए उन्होंने वंदे मातरम का बहिष्कार करने के लिए संसद से वॉकआउट किया था। इससे पहले बर्क ने 1997 में संसद के 50 साल पूरे होने पर आयोजित स्वर्ण जयंती कार्यक्रम में भी वंदे मातरम का बहिष्कार किया था।
पश्चिम बंगाल प्रदेश कॉन्ग्रेस कमिटी के अध्यक्ष रहे चौधरी केंद्र की मनमोहन सरकार में रेल राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। 63 वर्षीय चौधरी 1999 में पहली बार बहरामपुर से सांसद चुने गए थे और उस समय से अभी तक वे लगातार इसी सीट से जीतते रहे हैं।
लोकसभा अध्यक्ष के लिए नाम पर चल रहा सस्पेंस खत्म हो गया है। कोटा से बीजेपी सांसद ओम बिड़ला लोकसभा के नए स्पीकर होंगे। ओम बिड़ला अमित शाह के काफी करीबी माने जाते हैं। राजस्थान में विधानसभा चुनावों के दौरान उन्हें संगठन की जिम्मेदारी भी दी गई थी।
प्रोटेम स्पीकर उन्हें कहा जाता है, जो चुनाव के बाद पहले सत्र में स्थायी अध्यक्ष का चुनाव होने तक संसद या विधानसभा का संचालन करते हैं। सामान्यतः सदन के वरिष्ठतम सदस्य को यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है। प्रोटेम स्पीकर तब तक अपने पद पर बने रहते हैं, जब तक सदन द्वार स्थायी अध्यक्ष का चुनाव न हो जाए।