Friday, March 29, 2024
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कॉन्ग्रेस की हार का विश्लेषण तो कर लेते… लेकिन हमारा नेता ही हमें छोड़ कर निकल गया: खुर्शीद

"हार के विश्लेषण के लिए नेता की मौजूदगी तो होनी चाहिए। दुर्भाग्य से हमने ऐन वक़्त पर अपना नेता ही खो दिया। हमारी समस्या यह है कि उनके जाने के बाद भी हम उनके प्रति कटिबद्ध हैं। 2 बड़ी हार और नेता फिर भी नेता ही बना हुआ है।"

राहुल गाँधी ने जब लोकसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस की बुरी हार के बाद अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया, तब काफ़ी लोगों का मानना था कि वह जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं। अब कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बयानों से भी इसी बात की बू आ रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि अब वक्त आ गया है, जब कॉन्ग्रेस अपनी बुरी हार की समीक्षा करे और यह समझने का प्रयास करे कि जनादेश का सन्देश क्या है? उन्होंने कहा कि पार्टी हार का विश्लेषण इसीलिए नहीं कर पाई क्योंकि राहुल गाँधी ऐन मौके पर निकल गए, जिससे पार्टी में एक शून्य पैदा हो गया।

उत्तर प्रदेश कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष रह चुके खुर्शीद ने कहा कि कॉन्ग्रेस एकजुट होकर हार का विश्लेषण नहीं कर सकी क्योंकि उनके नेता ही उन्हें छोड़ कर चला गया। खुर्शीद ने सोनिया गाँधी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने पर भी नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा कि वह सोनिया के कार्यकारी अध्यक्ष बनने से ख़ुश नहीं हैं। खुर्शीद ने कहा कि जो भी अध्यक्ष बने, वह टिका रहे। यूपीए-2 में विदेश, अल्पसंख्यक मामले और क़ानून जैसे अहम मंत्रालय संभाल चुके खुर्शीद ने बताया कि वह अपनी पीड़ा इसीलिए व्यक्ति कर रहे हैं ताकि नेतृत्व इसे सुने।

खुर्शीद ने आशा जताई कि कॉन्ग्रेस पार्टी हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनाव के लिए तैयार है। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर हरियाणा कॉन्ग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन को उन्होंने सकारात्मक बताया। उन्होंने माना कि पार्टी हरियाणा में आंतरिक कलह से जूझ रही है लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि इससे निपट लिया जाएगा। खुर्शीद ने आगाह किया कि समय कम है और कॉन्ग्रेस को इससे जल्द निपटना चाहिए। राहुल गाँधी के सम्बन्ध में खुर्शीद ने कहा:

“हार के विश्लेषण के लिए नेता की मौजूदगी तो होनी चाहिए। लेकिन, दुःखपूर्वक कहना पड़ रहा है कि दुर्भाग्य से हमने ऐन वक़्त पर अपना नेता ही खो दिया। हमारी समस्या यह है कि उनके जाने के बाद भी हम उनके प्रति कटिबद्ध हैं। यह एक अनोखी स्थिति है। 2 बड़े हार और नेता फिर भी नेता ही बना हुआ है। कॉन्ग्रेस के लोग अब भी उनके प्रति निष्ठावान बने हुए हैं। लेकिन फिर बात वही है कि उनके यहाँ न होने से हम पार्टी की हार का विश्लेषण नहीं कर सके।”

2009 लोकसभा चुनाव में फर्रुखाबाद से जीत दर्ज करने वाले सलमान खुर्शीद 2014 लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हार गए थे। वह चौथे स्थान पर रहे थे। इससे पहले 1991 में भी वह संसद में इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके थे। अब खुर्शीद ने उम्मीद जताई है कि काश कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल पार्टी के साथ होते। खुर्शीद ने पार्टी को आगाह किया कि जितनी जल्दी हार की समीक्षा कर ली जाए, उतना ही अच्छा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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