"जेएनयू में एक महिला प्रोफेसर के साथ इतनी बदसलूकी? यह कोई छात्र आन्दोलन नहीं हो सकता। ताज्जुब नहीं होगा यदि यह कपड़े फाड़ने का प्रयास करने वाली वामपंथी विचारधारा की समर्थक छात्रा, कल महिला अधिकारों पर भाषणबाजी करते हुए दिखे। शर्मनाक!"
वामपंथी छात्र नेता साकेत मून के आरोपों का जवाब देते हुए जेएनयू प्रशासन के अधिकारियों ने कहा कि जेएनयू कैंपस में सीआरपीएफ की तैनाती नहीं की गई है, कोई भी आकर देख सकता है। उन्होंने कहा कि छात्रों को गुमराह करने के लिए ऐसे दावे किए जा रहे हैं।
प्रोफ़ेसर कदम की पत्नी और छोटे बच्चे भी उस समय हेल्थ सेंटर में ही मौजूद थे, जब छात्र उन्हें इलाज के लिए बाहर नहीं ले जाने दे रहे थे। उनकी तबियत बिगड़ती ही जा रही थी और पत्नी लगातार तनाव में थीं। छात्र बीमार प्रोफेसर को ले जा रही एम्बुलेंस के सामने खड़े हो गए।
बच्चों के साथ बातचीत के दौरान, यह पाया गया कि स्कूल में बच्चों ने न तो कभी 'राष्ट्रगान' गाया और न ही आधिकारिक रूप से स्वीकृत प्रार्थना 'वो शक्ति हमें दयानिधि' गाई। बच्चों ने बताया कि उन्होंने हमेशा 'लब पे आती है दुआ' का ही पाठ किया है।
गोविंद डोटासरा का कहना है कि सभी गर्ल्स स्कूलों में महिला टीचर्स को प्राथमिकता दी जाएगी। पुरुष टीचर्स को आवश्यकता के आधार पर नियुक्त किया जाएगा। राज्य सरकार के इस फ़ैसले को कई लोगों ने अपरिपक्व और बचकाना बताया है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। ऐसे में राज्य शिक्षा निदेशालय द्वारा गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों को बंद करने की पहल पर शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया का कहना है कि किसी भी स्कूल को बंद नहीं किया जाएगा।
पीटीआई नेता ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में छात्राओं के बीच बॉंटे बुर्के। कहा इससे छेड़छाड़ से बचेंगी। पिछले दिनों प्रांतीय सरकार ने स्कूलों में बुर्का अनिवार्य करने का आदेश जारी किया था। हालॉंकि विवाद होने पर इसे वापस ले लिया था।
स्कूल प्रिंसिपल ने परिसर में हुई घटनाओं का हवाला देकर बच्चों के निलंबन को सही ठहराने की कोशिश की है। उनका कहना है कि स्कूल परिसर में इसी प्रकार नारे लगाने को लेकर पूर्व में दूसरे स्कूल में विवाद हो चुका है। हम अपने स्कूल में कोई विवाद नहीं चाहते।
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें सुरक्षा गार्ड छात्राओं की कुर्ती की लंबाई जाँच कर उन्हें कॉलेज में प्रवेश दे रही थीं। छात्राओं से कहा गया कि यह नियम इसलिए लागू किए जा रहे हैं, ताकि उन्हें अच्छे शादी के प्रस्ताव मिल सकें।
पहले तो छात्राओं को सिर्फ़ चेतावनी दी गई कि अगर उनकी कुर्ती की 'सही लम्बाई' नहीं रही तो उन्हें कॉलेज परिसर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। लेकिन, शुक्रवार को हालात तब बिगड़ गए जब इन छात्राओं के साथ बदतमीजी की गई, उनकी कुर्ती खींची गई और उनके साथ धक्का-मुक्की हुई।