रोमन, जूलियन और ग्रेगेरियन कैलेंडरों में खासा कन्फ्यूजन था। अब भी है। कई त्रुटियाँ हुईं। किसी ने सूर्य को आधार माना तो किसी ने चन्द्रमा को। भारतीय प्राचीन कैलेंडर यूँ ही चला आ रहा है - सटीक।
कौन नहीं जानता है कि गायों को हरावल दस्ते में आगे रखकर हिंदुओं को जीतने वाले कायर रेगिस्तानी बर्बरों ने हिंदुओं की चेतना को खत्म करने के लिए मंदिरों को अपवित्र किया, मूर्तियाँ तोड़ीं और बलात्कार किए।
आज के लोगों के लिए ये स्वीकार करना कठिन है कि उनके पूर्वज पूर्णतया माँसाहारी थे। लेकिन, हड्डियों में मौजूद 'Stable Isotopes' और पेट में एसिड की अत्यधिक मात्रा इसकी पुष्टि करती है।
किताब के एक चैप्टर विशेष रूप से इस बात से संबंधित है कि कैसे इस्लामवादियों ने आर्य समाज को पूरी तरह से बदनाम करने के लिए सड़क हिंसा और हत्याओं का इस्तेमाल किया।
खलीफा वालिद बिन अब्दुल मलिक सूर्यदेवी के सौंदर्य को देख कर मोहित हो गया और उसके भीतर हवस की आग जाग उठी। फिर उसने राजा दाहिर की बड़ी बेटी के साथ जोर-जबरदस्ती शुरू कर दी।
वो कौन से योद्धा थे तो आज से 5000 वर्ष पूर्व भी उन्नत किस्म के रथों से चलते थे। कला में दक्ष, युद्ध में महान। वीरांगनाएँ पुरुषों से कम नहीं। रीति-रिवाज वैदिक। आइए, रहस्य में गोते लगाएँ।
रानी गाइदिन्ल्यू जिस हेराका आन्दोलन को चलाती रही, वो मुख्यतः अपनी सभ्यता-संस्कृति बचाने के लिए ही था। उन्हें बैप्टिस्ट ईसाइयों का हिंसक विरोध झेलना पड़ा।