"यहाँ 400 वर्ष पूर्व बने रामचंद्र के महलों और घरों के खँडहर अभी तक हैं। भारतीय उन्हें भगवान मानते हैं, जिन्होंने दुनिया का तमाशा देखने के लिए शरीर धारण किया था।"
मास्टर जी जी की दिलेरी का यह हाल था कि वो खाली समय में अपने दरवाज़े पर नियुक्त पुलिस वाले से पंजा लड़ा कर अपना वक्त गुज़ारा करते थे। झाँसी में उनके यहाँ ही रुके थे चंद्रशेखर आज़ाद।
अल्लूरी सीताराम राजू को पकड़ने के लिए अंग्रेजों ने पैसा पानी की तरह बहाया। वो माँ काली की उपासना करते थे। क्रांति का ज्ञान उन्हें तीर्थाटन के दौरान मिला। वो धर्मांतरण कराने वाले मिशनरियों के खिलाफ थे।