Saturday, April 27, 2024
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भगवान सूर्य से जुड़े मंदिर में 3000 साल पुरानी सुरंग: पेरू की चाविन संस्कृति उन्नत कला के लिए प्रसिद्ध, यूनेस्को की सूची में शामिल

पुरातत्वविदों का मानना है कि इस इलाके का निर्माण 1500 से 500 ईसा पूर्व में हुआ था। चाविन संस्कृति अपनी उन्नत कला के लिए जानी जाती है। यह इलाका प्राचीन चाविन संस्कृति के सबसे महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक है।

दक्षिण अमेरिकी देश पेरू के पुरातत्वविदों ने एक प्राचीन मंदिर में करीब 3000 साल पुरानी सुरंग की खोज की है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि यह सुरंग प्राचीन चाविन संस्कृति से जुड़े मंदिर के अन्य कमरों की ओर जाती है। इस सुरंग में 17 किलोग्राम का सिरेमिक का एक टुकड़ा मिला है। इस टुकड़े में कोंडोर पक्षी का सिर और पंख बना हुआ है। इसलिए इसे ‘कॉन्डर्स पैसेजवे’ कहा जा रहा है।

चाविन संस्कृति से जुड़ी सुरंग मंदिर के दक्षिणी हिस्से में मिली है। पुरातत्वविदों का कहना है कि यह सुरंग काफी कमजोर है। इसलिए इसे बंद कर दिया गया था। इस सुरंग में चाविन संस्कृति के शुरुआती दिनों की झलक दिखाई देती है।

यह सुरंग पेरू में हुआरी प्रांत के चाविन जिले में स्थित चाविन डी हुआनतार इलाके में मिली है। यह इलाका प्राचीन चाविन संस्कृति के सबसे महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक है। यही कारण है कि चाविन डी हुआनतार को यूनेस्को ने साल 1985 में पुरातात्विक स्थलों की सूची में शामिल किया था।

पुरातत्वविदों का मानना है कि इस इलाके का निर्माण 1500 से 500 ईसा पूर्व में हुआ था। चाविन संस्कृति अपनी उन्नत कला के लिए जानी जाती है। इस संस्कृति से जुड़े प्राप्त अवशेषों में आम तौर पर पक्षियों और बिल्लों के चित्र बने होते हैं।

चाविन संस्कृति एक ऐसी संस्कृति थी, जिसके लोग एक स्थान पर रह कर खेती करते हुए जीवन-यापन करते थे। ऐसा माना जाता है कि पेरू में इंका साम्राज्य के सत्ता में आने से 2000 साल से कहीं अधिक पहले चाविन लोग यहाँ रहते थे।

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के पुरातत्वविद जॉन रिक ने रॉयटर्स से हुई बातचीत में कहा है कि मई 2022 में इस सुरंग का दरवाजा खोला गया था। उस दौरान यहाँ करीब 17 किलोग्राम का सिरेमिक का बड़ा टुकड़ा मिला था। इस सिरेमिक टुकड़े पर कोंडोर पक्षी का सिर और पंख बना हुआ है। इस सुरंग में एक सिरामिल के कटोरे के साथ यह सब मिला था।

ऐसा माना जाता है कि कोंडोर दुनिया के सबसे बड़े पक्षियों में से एक है। प्राचीन एंडियन संस्कृतियों से जुड़े लोग इस पक्षी को शक्ति और समृद्धि का प्रतीक मानते थे। यही नहीं, कोंडोर को भगवान सूर्य से जुड़ा और ऊपरी दुनिया का राजा भी माना जाता था।

पुरातत्वविद जॉन रिक और उनकी टीम ने ही इस सुरंग की खोज की है। रिक ने यह भी कहा है कि इस मंदिर परिसर के अधिकांश भागों की खुदाई अब तक बाकी है। सुरंग मिलने के बाद यह पाया गया था कि यह बेहद जर्जर अवस्था में है। ऐसे में रोबोटिक कैमरों का इस्तेमाल कर इसकी जाँच की गई।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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