इमरान खान ने किसी का नाम नहीं तो लिया, लेकिन साफ है कि वे किसकी तरफ इशारा कर रहे थे। 2013 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने BJP और RSS पर हिंदू आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। पी चिदंबरम ने भी भगवा आतंकवाद पर विवादित बयान दिए थे। ये दोनों UPA सरकार में गृह मंत्री रह चुके हैं।
"मैं पश्चिमी चीन में हिरासत में लिए जा रहे उइगरों के विषय पर पाकिस्तान की ओर से वही प्रतिक्रिया देखना चाहूँगा। उइगरों के मानवाधिकारों के उल्लंघन का मुद्दा सिर्फ़ कश्मीर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि व्यापक रूप से दुनिया भर में लागू है।"
"दुनिया को इस्लामी इतिहास से अवगत कराने के लिए टीवी चैनल पर मुस्लिमों से जुड़े कार्यक्रम और फ़िल्में दिखाई जाएँगी। मुस्लिमों के ख़िलाफ़ ग़लतफ़हमी को दूर किया जाएगा, ईशनिंदा से जुड़ी बातों को सही अर्थों में प्रस्तुत किया जाएगा।"
"विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी खुद प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं इसलिए उन पर विश्वास नहीं किया जा सकता। ऐसा संभव है कि वह जानबूझकर खान को गलत रास्ते पर ले जा रहे हों। इमरान खान के विदेश में भाषण देने और प्रेस कॉन्फ्रेंस करने पर बैन लगना चाहिए।"
आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से पाक लगातार कॉन्ग्रेस को हथियार बनाकर भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है। उसने संयुक्त राष्ट्र को लिखे पत्र में राहुल गॉंधी के बयान का जिक्र किया था। बाद में राहुल ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश करते हुए कहा था कि कश्मीर में हिंसा के पीछे पाकिस्तान का हाथ है।
पाकिस्तान की जनता में बढ़ते महँगाई को लेकर आक्रोश बढ़ता जा रहा है। जनता बेसिक सुविधाओं के लिए मुँहताज हो रही है और इमरान खान अभी भी इस समस्या से न निपटकर भारत के आतंरिक मामले कश्मीर में दखल के लिए दूसरे देशों से समर्थन न दिए जाने के बावजूद भी चक्कर लगा रहे हैं।
पुलवामा में आतंकी हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने बालाकोट के आतंकी ठिकानों पर बम बरसाए थे। यह पहला मौका है जब सार्वजनिक तौर पर इमरान ने यह बात कबूली है। इससे पहले कम से कम दो मौकों पर उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से एयरस्ट्राइक की बात मानी थी।
एक अति-उत्साही पाकिस्तानी पत्रकार ने अपने देश की बेइज्जती करवा दी। उसने कश्मीर को लेकर ट्रम्प के सामने पाकिस्तानी प्रोपगेंडा चलाने की कोशिश की, लेकिन इससे इमरान का ही मज़ाक बन गया। मजबूरी में पाकिस्तानी चैनलों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस का प्रसारण ही रोक दिया।
इमरान ख़ान सऊदी क्राउन प्रिंस के स्पेशल प्लेन से अमेरिका पहुँचे। फिर भी इमरान ख़ान के लिए रेड कार्पेट नहीं बिछा। वहीं पीएम मोदी के लिए यह तो बिछा ही, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी उनके सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
"वे क्या करना चाहते हैं, यह उनकी इच्छा है। हमने उन्हें आतंक को मुख्यधारा बनाते देखा है। अब वे नफ़रत की भाषा को मुख्यधारा में इस्तेमाल करना चाहते हैं। यह उनकी इच्छा है, अगर वे यही करना चाहते हैं। ज़हरीले शब्द अधिक समय तक नहीं चलते।"