ये कहानी है एक 14 साल की हिन्दू लड़की तन्वी और उसके मुस्लिम बॉयफ्रेंड आलम की। दोनों के एक-दूसरे के घर आना-जाना होता है। इसमें गड़बड़ियाँ तब शुरू हुईं, जब उसके बॉयफ्रेंड के घरवालों ने तन्वी और आलम को एक कमरे में अकेला छोड़ दिया।
सांसद थरूर ने दिन में 5 बार 'ला इलाहा इल्लल्लाह' बोलने पर कोई आपत्ति नहीं जताई थी। उनकी आपत्ति बस वीडियो में प्रयुक्त नारे से थी, उसे जिस तरीके से पेश किया गया था, उससे थी। लेकिन थरूर के बयान को ही 'सॉफ्ट कट्टरता' करार दे दिया गया।
एक होटल को भी जला डाला गया क्योंकि उसका मालिक मुस्लिम था। दरअसल, इस घटना से पहले सोशल मीडिया में एक वीडियो काफ़ी सर्कुलेट हुआ था। उन वीडियोज में ईसाईयों के साथ ग़लत व्यवहार करने के लिए मुस्लिमों व इस्लाम की निंदा की गई थी।
11 मिनट 41 सेकंड का ऑडियो। यह ऑडियो सिर्फ दो मुस्लिम व्यक्तियों के बीच बातचीत भर का ऑडियो नहीं है। यह इंटेलिजेंस एजेंसी के सूत्रों से मिला ऑडियो है। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में केंद्र सरकार को अस्थिर करने के लिए इस साजिश की प्लानिंग लंबे समय से की गई है। इसकी पूरी फंडिंग ISIS के द्वारा हुई है।
सोशल मीडिया पर लोगों ने आशंका जताई कि इसके पीछे दो कारण हो सकते हैं। पहला कारण ये हो सकता है कि उन्होंने नए क़ानून को पढ़ने की जहमत ही नहीं उठाई और दूसरा कारण ये हो सकता है कि उन्हें पढ़ कर भी कुछ समझ नहीं आया। तभी उन्होंने 'दो बाप' वाली पहेली बुझाई।
उन दंगों के कारण केरल से 1 लाख हिन्दुओं को भाग कर अपनी जान बचानी पड़ी थी। कॉन्ग्रेस पार्टी की अध्यक्ष रहीं एनी बेसेंट ने इस बारे में अपनी पुस्तक में एक घटना का जिक्र करते हुए लिखा है कि हिन्दुओं का बुरी तरह से कत्लेआम किया गया। जिन्होंने भी इस्लाम अपनाने से इनकार किया, उन्हें या तो मार डाला गया, या फिर उन्हें भाग कर जान बचानी पड़ी।
यकीनन, अफगानिस्तान में तालिबान का प्रभाव पूरी तरह खत्म अब भी नहीं हो पाया है। लेकिन उसके जख्मों पर जोहरा का संगीत मरहम जैसा ही है। दुआ करिए बदलाव की बयार बनी इन बेटियों को फिर से कट्टरपंथियों की नजर न लगे।
लर्नर को यूके ने टेररिस्ट वॉचलिस्ट 'प्रिवेंट' प्रोग्राम के अंतर्गत 'डी रैडिकलाइजेशन' क्लास का हिस्सा बनाया ताकि वो इस्लाम-विरोधी न बनें। लर्नर ने बताया कि इस दौरान उनके साथ एक आतंकी की तरह व्यवहार किया गया। आतंकियों के साथ मुठभेड़ के बाद उनके शरीर पर 80 टाँके लगे थे।
पाकिस्तान के एक नेता ने सिखों के खिलाफ विवादित बयान देते हुए करतारपुर कॉरिडोर पर भी विवादित टिप्पणी की है। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के संस्थापक और नेता खादिम हुसैन रिज़वी ने एक भाषण में कहा कि जिसे सिखों से ज्यादा प्यार हो वह सरहद पार अमृतसर चले जाएँ।
58 वर्षीय बाजवा को नवम्बर 2016 में पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज़ शरीफ ने इस पद पर नियुक्त किया था। इसके बाद इमरान खान की सरकार ने भी बाजवा को इस पद पर रहने के लिए तीन साल का एक्सटेंशन दे दिया था।