कॉन्ग्रेस का काम व्हाट्सएप्प से चल रहा है। एक तरह से जमीन पर उतरने की बजाए नेता Whatsapp से 'वर्क फ्रॉम होम' कर रहे। प्रियंका गॉंधी की सांगठनिक क्षमता का इससे बेहतर नमूना और क्या हो सकता है।
पुलिस ने अशफाक और मोइनुद्दीन का आमना-सामना आसिम से करवाया। देखते ही दोनों ने आसिम को पहचान लिया। अशफाक ने उससे कहा, "ये काम मैंने कर दिखाया।" आसिम ने ही दोनों को हत्या के लिए उकसाया था।
"मोदी सरकार में बिना किसी भेदभाव के सबका विकास हो रहा है। पिछली सरकारें अयोध्या के नाम से डरती थीं। पीएम मोदी ने राम राज्य की धारणा को साकार किया है। मोदी ने भारत की परम्परा को विश्व पटल पर रखा। भारत दुनिया में विश्वगुरू के रूप में स्थापित हो रहा है।"
“मैं आप में से एक हूँ। मेरे पूर्वज यहीं के यूपी और बिहार से थे। भारतीय संस्कृति इतनी समृद्ध है कि हमने इसे सहेज कर रखा है। फिजी का हर नागरिक मरने से पहले कम से कम एक बार भारत आने का सपना देखता है।”
मृतक मनोज सेंगर के ख़िलाफ़ पीड़िता के सड़क हादसे की घटना में सीबीआई में मुक़दमा दर्ज है। जबकि उन्नाव दुष्कर्म कांड के आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर इस समय जेल में बंद है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मामले की सुनवाई अब दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में हो रही है।
ब्राह्मण महासभा से जुड़े वरिष्ठ अधिवक्ता मुकेश शर्मा की हत्या के मुख्य आरोपित नासिर को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है। उस पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने 10 हजार रुपए का इनाम भी घोषित किया था।
"कमलेश सर, मेरा नाम संजय है। मेरी बहन को एक मुस्लिम लड़के ने अपने प्यार में फँसा लिया है।" - संजय बने मोइनुद्दीन ने कमलेश तिवारी को यही फर्जी कहानी सुना कर बातचीत को आगे बढ़ाया। उसकी कहानी सुलकर कमलेश आवेश में आ गए और...
इस मामले में सभी साज़िशकर्ता और दोनों हत्यारे पकड़े जा चुके हैं। सूरत से मौलाना शेख, फैजान और रशीद पठान को गिरफ़्तार किया गया था। संदिग्ध हत्यारे अशफ़ाक़ और मोईनुद्दीन राजस्थान और गुजरात की सीमा से दबोचे गए थे।
उन्होंने बताया कि अशफ़ाक़ के पास पिस्टल थी, जबकि दोनों चाकू पैंट में रख रखा था। आधा किलो वाले मिठाई के डिब्बे में सिर्फ़ रसीद थी। इसकी वजह थी कि वो ख़ुद चाहते थे कि जाँच में उनका नाम सामने आए।
"कॉन्ग्रेस पार्टी ने अपने स्वार्थ के लिए जनता में वोटों के बँटने के भय को खूब प्रचारित किया। इससे बीएसपी के समर्पित वोटर तो कतई नहीं डिगे परन्तु अन्य वोटर जरूर भ्रमित हो गए। इसका परिणाम यह हुआ कि बीएसपी इस बार हरियाणा विधानसभा आमचुनाव में सीट जीतने में सफल नहीं हो सकी।"