नन का कहना है कि क्योंकि बिशप उनके धार्मिक समूह का मुखिया था इसलिए वो कभी इस बात को बता नहीं पाई। लेकिन जब वो उसके शरीर के बारे में अश्लील बातें करता तो उसे आत्म सम्मान को ठेस लगती थी। उन्होंने कहा कि बिशप द्वारा की जाने वाली सेक्सटिंग (मोबाइल पर की जाने वाली अश्लील बातें) में उन्होंने कभी दिलचस्पी नहीं ली।
एक नन ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर रेप का आरोप लगाया था। सिस्टर लूसी ने उसका समर्थन किया था। बीते साल इसके कारण उन्हें FCC ने निष्कासित कर दिया था। हालॉंकि वायनाड की अदालत ने इस पर रोक लगा दी थी।
पादरी को गिरफ़्तार किए जाने के बाद पुलिस को विदेश से कई फोन कॉल आए, जिनमें उसे छोड़ने को कहा गया। ये दिखाता है कि भारत में ईसाई पादरियों व चर्चों के नेक्सस की कितनी बड़ी पहुँच है। पादरी ने आधी रात के समय महिलाओं को अकेले देख कर छेड़खानी की।
पीड़ित लड़कियों की शिकायत पर इन सभी आरोपितों को इसी साल 17 जून को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है। लेकिन एनजीओ की शिकायत पर सुनवाई के दौरान इन सभी आरोपितों को बरी कर दिया गया।
"कॉन्वेंट्स में जवान ननों को पादरियों के पास उनके 'यौन सुख' के लिए भेजा जाता है। वहाँ उन्हें घंटों नंगे खड़ा रखा जाता है। वो लगातार गिड़गिड़ाती रहती हैं लेकिन उन्हें जाने नहीं दिया जाता है। 'सेफ सेक्स' के लिए आयोजित 'प्रैक्टिकल क्लास' में पादरी और भी कई कुकर्म करते हैं।"
दोनों पादरी ने 2005 से 2016 के बीच में अपने कुकर्मों को अंजाम दिया। 2016 में इसका खुलासा हुआ था। कहा जा रहा है कि पोप फ्रांसिस को 2014 की शुरुआत में ही इन पादरियों में से एक पर लगे आरोपों के बारे में जानकारी थी।
इसी साल की शुरुआत में कई नन महिलाओं द्वारा ईसाई मिशनरियों में होने वाले शारीरिक शोषण को लेकर कई खुलासे किए गए थे जिसके बाद खुद पोप फ्रांसिस ने भी इस बात को स्वीकार किया था कि बहुत से बिशप-पादरियों ने कई नन महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया ।
केरल में सिस्टर लूसी कलाप्पुरा को रोमन कैथोलिक चर्च के अंतर्गत आने वाले ‘द फ्रांसिस्कन क्लारिस्ट धर्मसभा’ (एफसीसी) से निष्कासित कर दिया गया है। जिसे लेकर उन्होंने चर्चों की महासभा को एक पत्र लिखा है।