साल 2019 में जिस जामिया में सीएए-एनआरसी के विरोध के नाम पर हिंसा को अंजाम दिया गया था, वहाँ के छात्रों ने एक बार अपने परिसर में 'ला इलाहा इल्ललाह' की नारेबाजी की।
वीडियोज को देखने के बाद आम लोग माँग करने लगे हैं कि अगर सरकार द्वारा दिए फंड से चल रहे संस्थान में यही सब होना है तो इस संस्थान को ही बंद कर दिया जाना चाहिए।
'कॉल फॉर जस्टिस' की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट से पता चलता है कि जामिया मिलिया इस्लामिया में गैर-मुस्लिमों के साथ न केवल भेदभाव हुआ बल्कि उन्हें धर्मांतरण के लिए उकसाया भी गया।
इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा दीपोत्सव के बीच में माहौल बिगाड़ने का प्रयास हुआ और अगले दिन जब हिंदू फिर दीवाली मनाने के लिए इकट्ठा हुए तो पुलिस ने आधा दर्ज छात्रों को हिरासत में ले लिया।
एफआईआर में आरोपित नाज़िम हुसैन अल-जाफ़री जामिया मिल्लिया इस्लामिया के रजिस्ट्रार हैं तो नसीम हैदर डिप्टी रजिस्ट्रार। इनके साथ ही आरोपित शाहिद तसलीम यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर हैं।