टीपूडा ने कई सारे कार्टून्स को सही (राजनीतिक रूप से) किया है, खासकर सतीश आचार्य द्वारा बनाए गए कार्टून्स। उन्होंने इन कार्टून्स को सही करते हुए बताया है कि कैसे ये ओरिजिनल कार्टून्स पक्षपाती हैं और सिर्फ एक ही पक्ष को दिखाते हैं।
वक्त है चेत जाने का। खुद की आवाज बनने का। गिरोह घात लगाए बैठा है। उसे नहीं कुचला तो वह गजवा-ए-हिंद के ख्वाब बुनने वालों के पीठ पर हाथ फेरेगा और आपको भगवा आतंकवादी घोषित कर देगा।
इससे हास्यास्पद क्या हो सकता है कि वामपंथी, जिन्होंने एक ही मार्क्सवादी फॉर्मूले से रूस, चीन, पूर्वी जर्मनी, कम्बोडिया, क्यूबा, वेनेज़ुएला और न जाने कितने और मुल्कों में कत्लेआम मचाया है, वह अपने विरोधियों पर 'एक जैसा' होने का आरोप लगाएँ।