गृह मंत्रालय ने यह प्रतिक्रिया एबीपी न्यूज़ की उन दो रिपोर्ट्स के पब्लिश होने पर दी जिसमें कहा गया था कि गृह मंत्रालय दिल्ली हिंसा से निपटने के दिल्ली पुलिस के तरीके से असंतुष्ट है और वह इसके लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर कार्यवाही कर सकता है।
24 फरवरी को चॉंदबाग में पुलिस पर हमला सोची-समझी साजिश थी। दंगाइयों ने पुलिस को बुलाने से पहले सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिए थे ताकि उनकी पहचान न हो। अब फुटेज के आधार उनकी धर-पकड़ की जा रही है।
डीसीपी शर्मा की पत्नी उनकी हालत देखकर बेहद भावुक मन से 24 फरवरी के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि उस दिन अमित शर्मा के ऑफिस स्टाफ ने घर पर कॉल की थी और कहा था कि अमित शर्मा घायल हो गए हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि हिंसा वाले दिन शाह आलम अपने भाई यानी ताहिर हुसैन की छत पर दंगाइयों के साथ मौजूद था। हिंसा भड़काने में उसका बहुत बड़ा हाथ है। वह फरार बताया जा रहा है।
इस हिंसा में ना सिर्फ हिन्दुओं को चिह्नित कर मारा गया, बल्कि उनके परिवार के साथ बसलूकी भी की गई, परिवार की महिलाओं और बेटियों के साथ अश्लील हरकत करने से लेकर पवित्र मंदिरों को भी हिंसक मुस्लिम भीड़ ने अपना निशाना बनाया। इन दंगों में एक सबसे बड़ा नाम आम आदमी पार्टी नेता ताहिर हुसैन का भी आया है।
यासिर अराफात ने ABP न्यूज़ चैनल की पत्रकार रुबिका लियाक़त का ट्वीट शेयर किया है। जिसमें भीड़ द्वारा पुलिस पर पत्थर फेंके जा रहे इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है- "लाजवाब, आतंकवादी पिट रहे हैं..."
वीडियो में स्पष्ट देख सकते हैं कि डीसीपी अमित शर्मा भीड़ के बीच फँसे हुए हैं, जिसके बाद कई पुलिसकर्मी वहाँ पहुँचते हैं और वो डीसीपी अमित शर्मा को पत्थरबाजों और भीड़ के चंगुल से बचाते हैं। चाँद बाग हिंसा में एसीपी अनुज भी घायल हुए थे।
मंदर के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करने और उनकी याचिका खारिज करने अपील शीर्ष अदालत से की गई है। इस बीच कथित सामाजिक कार्यकर्ता का एक और विडियो भी सामने आया। इसमें भी वे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करते दिख रहे हैं।
विडियो में देखा जा सकता है कि पुलिस कार्रवाई के बाद वहाँ मौजूद भीड़ आगे की तरफ भागती है। तभी दूसरी ओर से आई उपद्रवियों की भारी भीड़ पुलिस पर हमला कर देती है। भीड़ में शामिल बुर्का धारी महिलाएँ भी पुलिस पर हमला करते हुए नजर आती हैं।
ऐसा लगता है कि दिल्ली के हिंदू विरोधी दंगों की आड़ में अंकित शर्मा की जानबूझकर हत्या की गई। घटनाक्रम, प्रथम दृष्टया मिली जानकारी, कुछ बयान और डॉक्टरों की शुरुआत राय इसी ओर इशारा कर रहे हैं। उनकी हत्या के तार बांग्लादेशी आतंकियों से जुड़ रहे हैं।