ज़मीर को 5 जुलाई से पहले जाँच टीम के समक्ष उपस्थित होकर पूछताछ में सहयोग करना होगा। दरअसल, ज़मीर ने चुनाव के दौरान दिए गए हलफनामे में आईएमए के भगोड़ा मैनेजिंग डायरेक्टर मंसूर ख़ान से 5 करोड़ रुपए की संपत्ति ख़रीदने की जानकारी दी थी।
कॉन्ग्रेस नेता अहमद पटेल के करीबी माने जाने वाले संदेसरा ब्रदर्स ने फर्जी कंपनियाँ बनाकर कई बैंकों को करीब ₹14,500 करोड़ का चूना लगाया। जबकि हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी ने पीएनबी बैंक में ₹11,400 करोड़ का घोटाला किया था।
"होली-दिवाली पर अगर लोगों का घर तोड़ दिया जाता है तो वो कहाँ जाएँगे? नेताओं के पास। अगर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की इज़्ज़त नगर निगम के अधिकारियों के सामने धूल बराबर है तो जनप्रतिनिधि फ़्रस्ट्रेशन में क्या करेगा? इसीलिए, आकाश विजयवर्गीय की कार्रवाई से मेरे जैसा आम आदमी ख़ुश है।"
समिति की रिपोर्ट के मुताबिक देश के बाहर भेजा गया धन पैदा होने वाले काले धन का महज़ 10% है। समिति ने यह भी कहा कि उपरोक्त अनुमान भी महज़ अनुमान हैं, क्योंकि ऐसी किसी गणना को करने के किसी भी तरीके पर आम सहमति नहीं है।
"जो नेता मेरे करीबी थे, वही नेता अब मेरे लिए और मेरे परिवार के लिए खतरा बने हुए हैं। मैं भारत वापस आना चाहता हूँ, सारी जानकारी देना चाहता हूँ। भारत आकर मैं निवेशकों का पैसा लौटाना चाहता हूँ।"
12 ‘दागदार’ व ‘सुस्त’ वरिष्ठ अधिकारियों को समय-पूर्व रिटायरमेंट देने के बाद एक और बार अकुशलता पर चाबुक चलाते हुए मोदी सरकार ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर व कस्टम बोर्ड के 15 बड़े अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया है। इन सभी अधिकारियों पर पद की नियमावली के खिलाफ काम करने...
ये सभी अधिकारीगण इनकम टैक्स विभाग में चीफ कमिश्नर, प्रिंसिपल कमिश्नर्स और कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट जैसे महत्वपूर्ण और बड़े पदों पर तैनात थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन अधिकारियों में से कई पर भ्रष्टाचार, बेहिसाब संपत्ति का अर्जन और यौन शोषण जैसे आरोप लगे हुए थे।
210 कम्पनियों के भी इस मामले से जुड़े होने की बातें पता चलीं। इनमें से 47 कम्पनियाँ ओमनी समूह से जुड़ी थीं, जिसे ज़रदारी के ख़ास करीबी द्वारा चलाया जाता है। इसमें से एक अकाउंट में 4.4 बिलियन पाकिस्तानी रुपया ट्रान्सफर किया गया और इनमें से 30 मिलियन रुपए ज़रदारी ग्रुप को 2 बार दिए गए।
जो विद्यार्थी गलत तरीके से पैसे देकर शिक्षक की नौकरी पा भी लें तो वे क्या पढ़ाएँगे और क्या नीति की बातें सिखाएँगे? बात सिर्फ शिक्षकों की नहीं है। धाँधली करके प्राप्त की गई किसी भी नौकरी के किसी भी पर पहुँचा अधिकारी क्या उस पद के साथ ईमानदार रह पाएगा? क्या वह आगे भी रिश्वतखोरी नहीं करेगा?