इस क़ानून के तहत, जो धार्मिक स्थल आज़ादी के समय जिस संप्रदाय का था वो आज और भविष्य में, भी उसी का रहेगा। जैसे किसी भी मस्जिद को मंदिर में नहीं बदला जा सकता है।
पूजा अर्चना के लिए पुजारी पंडित आशीष उपाध्याय पहुँचे तो वह मंदिर में टूटी मूर्तियों को देखकर दंग रह गए। पुजारी ने बताया कि जब मंदिर की छत पर पहुँचे तो......