मनमोहन सिंह के राज में राजीव गॉंधी फाउंडेशन पर गृह मंत्रालय समेत समेत 7 मंत्रालय और सरकारी विभाग से लेकर 11 बड़े सार्वजानिक उपक्रमों ने दरियादिली दिखाई।
वर्ष 1991-92 में भारत के तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्रीय बजट से सोनिया गाँधी के नेतृत्व वाले राजीव गाँधी फाउंडेशन को पाँच साल की अवधि में 100 करोड़ रुपए की राशि आवंटित करने की कोशिश की थी।
दौलत बेग ओल्डी एयरस्ट्रिप। चीन के साथ हालिया तनाव के बीच सामरिक रूप से बेहद अहम। लेकिन, यह 43 साल बंद रहा। 5 बार इसे शुरू करने की अनुमति नहीं दी गई। फिर वायुसेना ने सरकार को बिना बताए इसे शुरू करने का फैसला लिया।
1998 में बंद पड़ी एक कंपनी के अधिग्रहण के लिए 2009 में सेल को मजबूर किया गया। प्रचार ऐसे किया गया मानो बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा होगा। नतीजा सिफर रहा। 10 साल बाद भी जमीन का टाइटल सेल के नाम ट्रांसफर नहीं हुआ है।
"दिल्ली में जब 84 के सिख दंगे हो रहे थे, गुजराल जी उस समय के गृह मंत्री नरसिम्हा राव के पास गए थे। उन्होंने राव से कहा कि स्थिति इतनी गंभीर है कि सरकार के लिए जल्द से जल्द सेना को बुलाना आवश्यक है। अगर राव गुजराल की सलाह मानकर जरूरी कार्रवाई करते तो शायद 1984 के नरसंहार से बचा जा सकता था।"