NDTV की निधि राजदान, राणा अयूब जैसी अक्सर फर्जी खबर फैलाने वाले कई 'पत्रकार' भी इस मुहिम में शामिल थे। उन्होंने सच को जानने की तनिक भी कोशिश नहीं की। ट्विटर पर कई सत्यापित हैंडल थे जो ऐसी काल्पनिक कहानी को फैलाने में मदद करते हैं।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने एक आर्टिकल में दावा किया था कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) और केंद्रीय अप्रत्यक्ष एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) का विलय होने जा रहा है।
एनडीटीवी पर अपने प्राइम टाइम शो में पत्रकार रवीश कुमार ने निलंबित पुलिस अधिकीरी देविंदर सिंह के बारे में झूठ बोला कि मामले में चार्जशीट दायर न होने के कारण उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया था।