480 ईसापूर्व के अजंता की गुफाओं में 'चिकनकारी' जैसी कलाकृति है। 2500 साल पुरानी चन्द्रकेतुगढ़ की एक मूर्ति में ये है। राजा हर्षवर्धन इसके शौक़ीन थे। मुगलों को श्रेय क्यों?
मुगल आक्रांताओं से उत्तर-पूर्व भारत की पवित्र भूमि की रक्षा करने वाले वीरयोद्धा लाचित बरपुखान का जीवन और व्यक्तित्व शौर्य, साहस, स्वाभिमान, समर्पण और राष्ट्रभक्ति का पर्याय है।
लाचित बरपुखान ने पूर्वोत्तर की जमीन पर मुगलों की बर्बर विस्तारवादी मंसूबों को दफन कर दिया। उनके पराक्रम में इतना बल था कि उससे टकराने के बाद मुगलों ने कभी पूर्वोत्तर पर काबिज होने का स्वप्न न देखा।