Saturday, July 27, 2024
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बिना हिजाब निकलने वाली महिलाओं को Prostitute बना देता था अकबर, जिस पर नजर पड़ गई उसे तलाक दिला कर ले आता था: हरम में चलती थी दारू-ड्रग्स की पार्टी

मुगलों के समय नियम था कि अगर किसी भी महिला की तरफ बादशाह की नजर पड़ जाती है और वो बादशाह को पसंद आ जाती है, तो उसके शैहर को अपनी बीवी को तलाक देकर बादशाह को सौंपा होता था।

मुगलों को अक्सर भारत में बिरयानी और मुरब्बा लाने से लेकर हर चीज के लिए श्रेय देने की वामपंथियों में एक होड़ सी मची रहती है। खासकर अकबर को तो ये वामपंथी गिरोह ‘राष्ट्रपिता’ ही मानता है। अब जब हिजाब को लेकर भारत में कट्टर इस्लामी गिरोह सुप्रीम कोर्ट से लेकर सड़क तक उपद्रव कर रहा है, हमें इस संबंध में अकबर का एक कानून याद करने की आवश्यकता है। मुग़ल आक्रांता अकबर ने हिजाब के पक्ष में एक सख्त कानून बना रखा था।

असल में अकबर का कानून कुछ यूँ था कि सड़कों पर या बाजारों में अगर कोई महिला बिना हिजाब के पाई जाती है तो उसे वेश्याओं वाली जगह पर भेज दिया जाता था। अगर कोई महिला सार्वजनिक स्थानों पर अपना हिजाब या बुरका हटाती है तो उसके लिए भी यही कानून था, उसे भी Prostitute का काम करने को मजबूत किया जाता था। किसी महिला का अपने शौहर से लड़ाई-झगड़ा हुआ हो, तो भी यही सज़ा मिलती थी।

महिलाओं को लेकर अकबर ने ये कानून भी बनाया था कि अगर कोई महिला अपने शौहर से 12 साल बड़ी है तो वो उसके साथ नहीं रह सकेगी। मुग़ल बादशाह के इस क्रूर और अजीबोगरीब नियम-कानूनों का जिक्र ‘मुन्तखाब-उत-तवारीख‘ नामक पुस्तक में फ़ारसी मूल के 16वीं शताब्दी के इतिहासकार अब्दुल कादिर बदायूंनी ने किया है। इस पुस्तक में शुरुआती मुग़ल दौर के इतिहास का जिक्र है। इसे 16वीं शताब्दी के अंतिम दशक में लिखा गया था।

एक और कानून के बारे में जान लीजिए, जिसकी तर्ज पर आज भी ‘लव जिहाद’ जैसे कारनामे अंजाम दिए जाते हैं। असल में मुग़ल बादशाह अकबर के समय कानून था कि अगर कोई हिन्दू महिला को किसी मुस्लिम व्यक्ति से ‘प्यार’ हो जाता है तो फिर उसे जबरन उसके पति से छीन कर मुस्लिम व्यक्ति को सौंप दिया जाता था। एक और कहानी जान लीजिए। उस समय शेख बदाब आगरा का सरदार हुआ करता था, जिसे अकबर ने ही नियुक्त किया था।

उसकी एक बहू थी, जो काफी सुंदर थी। एक बार अकबर की नजर उस पर पड़ी। मुगलों के समय नियम था कि अगर किसी भी महिला की तरफ बादशाह की नजर पड़ जाती है और वो बादशाह को पसंद आ जाती है, तो उसके शैहर को अपनी बीवी को तलाक देकर बादशाह को सौंपना होता था। अकबर ने भी उस महिला के ससुर और पति से इस संबंध में बात की। उसके शौहर को अपनी बीवी को तीन तलाक देकर दक्कन जाना पड़ा और उस महिला को मुगलों के हरम में भेज दिया गया।

अकबर इतना सनकी था कि उसने अपने बेटियों के निकाह तक पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा था कि मुग़ल लड़कियों से शादी करने लायक कोई है ही नहीं, इसीलिए उन्हें कुँवारी ही रहना चाहिए। असल में उसे डर रहा कि अगर उसकी बेटियों ने निकाह किया तो दामाद लोग भी गद्दी के लिए दावेदारी करने लगेंगे। वो हर साल अपने हरम पर एक बड़ी रकम खर्च करता था। हरम तो उसके अब्बा हुमायूँ और दादा बाबर के समय भी थे, लेकिन उस हरम में महिलाओं की संख्या अकबर के समय चक्रवृद्धि दर से बढ़ी।

अकबर के इन्हीं नियमों के कारण मुग़ल वंश की लड़कियों और महिलाओं का जीवन नरक बन गया और कइयों को बुढ़ापे तक कुँवारी ही रहना पड़ा। अकबर प्रत्येक दिन 6 घंटे अपने हरम में ही महिलाओं के साथ ही गुजारता था। उसके हरम में 5000 से भी अधिक महिलाएँ थीं। साथ ही हरम की सुरक्षा के लिए नपुंसक लोगों को ही रखा जाता था, ताकि महिलाओं के साथ कोई सम्बन्ध न बना पाए। हर युद्ध के साथ अकबर के हरम में महिलाओं की संख्या बढ़ती ही चली गई।

अकबर के हरम का कुछ ऐसा था हाल

अकबर को बड़ा ही मजहबी बताया जाता है, लेकिन डेविड अब्राम की पुस्तक ‘The Rough Guide to India‘ में इसका जिक्र है कि वो शराब के साथ-साथ गाँजा और अफीम का सेवन भी करता था। वो पर्सियन वाइन का शौक़ीन था। उसके जनानखाने में अक्सर ऐसी पार्टियाँ होती थीं, जिसमें नशे का भरपूर इस्तेमाल किया जाता था। इसमें महिलाओं को सेक्सुअल एक्ट्स करने के लिए कहा जाता था। अकबर के हराम में ड्रग एडिक्शन चरम पर था।

मुगलों के हरम में ‘पर्दा’ करना अनिवार्य था, अर्थात महिलाओं को हिजाब और बुर्के में ही रहना होता था। आज भारत में इसी बुर्के और हिजाब की वकालत की जा रही है, जबकि ईरान जैसे इस्लामी मुल्कों में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इस्लामी मुल्क की महिलाएँ ही आज हिजाब से आज़ादी चाहती हैं, लेकिन भारत में इस्लामी शासन स्थापित करने की दिशा में इसे औजार बनाया जा रहा है। हिजाब शुरू से महिलाओं को कैद रखे जाने और दोयम दर्जे का समझने का प्रतीक रहा है।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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