सेना के साथ-साथ सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण का कार्य रक्षा मंत्री की प्राथमिकता होनी चाहिए। क्योंकि भाजपा को जो स्पष्ट जनादेश मिला है, वो राष्ट्रवाद एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दे पर मिला है।
इससे पहले तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने भी सियाचिन का दौरा किया था। उन्होंने वहाँ तैनात जवानों संग दशहरा का पर्व मनाया था। उनसे पहले जुलाई 2018 में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने सियाचिन का दौरा किया था।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछले पाँच साल तक देश में शांतिपूर्ण माहौल के मद्देनज़र, इस समय एग्जिट पोल से विपक्ष में उपजी हताशा को ध्यान में रखकर, किसी तरह की हिंसा को रोकने के लिए, पहले से ही सावधानी बरतने की दृष्टि से यह निर्णय लिया गया है।
राजधानी के एक होटल में 4 मई को प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई थी। इस कॉन्फ्रेंस में मौलाना कल्बे जव्वाद ने खुलकर राजनाथ सिंह को समर्थन देने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि वह एक अच्छे उम्मीदवार का समर्थन करते हैं। उनके मुताबिक, राजनाथ सिंह एक अच्छे इंसान हैं।
“ये छापेमारी एजेंसी अपने इनपुट के आधार पर कर रही है। इसमें केंद्र सरकार का किसी तरह का हाथ नहीं है। सरकार को दोष देना गलत बात है। ऐसा कई वर्षों से हो रहा है, आज अचानक तो शुरू नहीं हुआ है। इसके पीछे की तरह की राजनीतिक शक्ति का इस्तेमाल नहीं किया गया है। देश में आचार संहिता लागू है। हम क्या करें?”
शहीद जवान को कंधा देने के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ,जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक और भारतीय सेना के उत्तरी कमांड के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने पुलवामा हमले में शहीद सीआरपीएफ के जवानों को श्रद्धांजलि भी दी।
इस आतंकी घटना को अंजाम देने के पीछे आदिल अहमद डार नाम के आतंकी का हाथ है। सुरक्षाबलों का कहना है कि आदिल को पहले भी एक ऑपरेशन के दौरान घेर भी लिया गया था। लेकिन वह किसी तरह बच कर निकल गया था।
जबकि भाजपा नागरिकता बिल को पारित करके असम व दूसरे राज्यों में रहने वाले बाहरी लोगों को देश से बाहर निकालना चाहती ताकि नॉर्थ ईस्ट के मूल नागरिकों को किसी तरह से कोई समस्या न हो।