पाकिस्तान में सहमत को हर पल अपने अस्तित्व को छिपाना पड़ता था। एक जवान महिला, अनजाने देश में, जहाँ हर गलती मौत को न्योता दे सकती थी। फिर भी, उसने अपने देश के लिए हर जोखिम उठाया।
ये उस विजय गाथा की दास्तान है जिसकी शुरुआत 3 दिसम्बर 1971 को हुई थी और जिसका अंत 16 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तान की करारी हार के साथ हुआ। उस दिन के बाद से हर साल हम इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं।