काबुल के शोर बाजार में स्थित गुरुद्वारे पर हुए इस्लामिक स्टेट के हमले के चार महीने बाद भारतीय दूतावास ने अफगानिस्तान के 11 सिखों को शॉर्ट टर्म वीजा दिया है।
आतंरिक मंत्रालय के प्रवक्ता तारिक आर्यन ने ISIS द्वारा किए गए इन हमलों की निंदा करते हुए पूरी घटना को मानवता और अंतरराष्ट्रीय कानून के विरुद्ध बताया है।
मौलवी अब्दुल्ला ने पूरे हमले की साजिश रची थी। वह पाकिस्तानी नागरिक है और पहले आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ था। इसके बाद वो तहरीक-ए-तालिबान में सक्रिय रहा। फिर आईएसकेपी का प्रमुख बना। हमले में 27 लोगों की मौत हो गई थी।
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में 25 मार्च को गुरुद्वारे पर आातंकी हमला हुआ था। हमले के वक्त वहॉं 150 श्रद्धालु मौजूद थे। 27 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि आठ अन्य घायल हो गए थे।
अमेरिका के स्टेट्स डिपार्टमेंट और मीडिया के अनुसार 1990 में वहाँ 1 लाख हिन्दू और सिख आबादी थी, जोकि अब 3000 के आसपास है। यह समझना कोई कठिन काम नहीं है कि उन 97,000 हिन्दुओं और सिखों के साथ क्या हश्र हुआ होगा।