अमर्त्य सेन का कहना है कि ‘माँ दुर्गा’ बंगालियों के जीवन में सर्वव्याप्त हैं और अब बंगाल में जय श्री राम का इस्तेमाल लोगों को पीटने के लिए किया जा रहा है।
आपकी औकात नहीं है किसी भी पब्लिक स्टेज पर यह बोलने की कि मजहबी नारे का प्रयोग आतंकी हमलों के लिए किया जाता है। पीटने के लिए उपयोग किए गए नारे में और काले झंडे पर लिख कर, अपने आत्मघाती हमले या टेरर अटैक के पहले लिखे पोस्ट या वीडियो में बोले जाने वाले नारे में ‘पीटने’ और ‘कई लोगों की जान ले लेने’ जितना का अंतर है।
अमर्त्य सेन को तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा नालंदा विश्वविद्यालय का प्रथम कुलपति नियुक्त किया गया। उन्हें पाँच लाख रुपए प्रति महीने का वेतन दिया जाता था। बेहिसाब विदेशी दौरे, सीधी नियुक्तियाँ करने का अधिकार सहित उन्हें कई अन्य सुविधाओ से नवाजा गया था।
इस तरह के बयानों का उस समय आना जब लोकसभा के चुनाव नज़दीक हों साफ दर्शाता है कि वो व्यावहारिक स्तर पर एक निश्चित व्यक्ति के ख़िलाफ़ कैम्पेनिंग कर रहे हैं।