"मैं वादा करता हूँ कि लिबर्टी और इंडिगो अब जीवन में कभी क्रूरता का सामना नहीं करेंगे, यहाँ तक कि किसी कसाई का हाथ तक उन्हें नहीं छू पाएगा। दोनों की देखरेख एक फार्म में की जाएगी। वो जैसे-जैसे बड़े होंगे, हमें याद आता रहेगा कि कुछ दोस्तियाँ अचानक से कहीं भी हो जाती हैं।"
"हमारी संस्कृति में ऐसा कहा जाता है कि किसी गाय को छूने से हमारी नकारात्मकता दूर हो जाती है।" - कॉन्ग्रेसी मंत्री यशोमति के इस भाषण के बाद उन्हें सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल किया जा रहा है। लोग उन्हें भाजपाई करार दे रहे हैं।
पुलवामा के फिदायीन हमलावर आदिल डार ने अपने आखिरी वीडियो में कहा था, "गौमूत्र पीने वाले भद्दे लोग उनके आक्रमणों का सामना नहीं कर पाएँगे।" लेकिन गाय या गौमूत्र से घृणा करने वालों में लेटेस्ट नाम है महिला IPS अधिकारी - असलम खान का।
देखते ही देखते कहासुनी मारपीट में तब्दील हो गई और नशे में धुत लोगों ने अजय दास पर अपनी लाठी और डंडों से हमला बोलकर उसे बुरी तरह ज़ख़्मी कर दिया और लहू-लुहान हालत में छोड़कर भाग गए।
“कॉन्ग्रेस ने गोमाता को वोट प्राप्ति का साधन बना लिया है। ये गोमाता की रक्षा की बजाय अपने हितों को साधने का काम कर रहे हैं। मैं आग्रह करता हूँ कि गोमाता पर ऐसे खेल बंद होना चाहिए। सरकार तत्काल गौशालाएँ खोलें, उसमें गायों को भेजें, ताकि ये अकाल मृत्यु का शिकार न हों।”
महात्मा गाँधी का मांनना था कि मुस्लिमों को गोहत्या से वंचित करने का अर्थ है उनसे जबरन हिन्दू धर्म कबूल करवाना। राष्ट्रपिता के अनुसार, अगर मुस्लिम बात नहीं मानते हैं तो गाय को मरने देना चाहिए। महात्मा गाँधी गोहत्या पर बिना मुस्लिमों की सहमति के प्रतिबन्ध लगाने के विरोधी थे।
यह कहानी है कर्नाटक के बेलगावी जिला स्थित सुदूरवर्ती गाँव शेगुनासी की, जहाँ इस वर्ष भयंकर बाढ़ आई। लेकिन, उनके लिए मदद सरकार से नहीं बल्कि ऐसी जगह से पहुँची कि 10 साल पुराना इतिहास फिर से जिन्दा हो गया।
पुलिस का कहना है कि सरपंच की शिकायत मिलने के बाद मामले की जाँच शुरू कर दी गई है। दो दिनों पहले ही एक व्यक्ति गायों को लेकर काँजी हाउस आया था। उसने गायों को खुले में रखने की जगह उन्हें एक छोटे कमरे में बंद कर दिया था।
"इस्लाम में कई ऐसे नबी आए हैं, जिनके नाम नहीं पता और हनुमान उनमें से एक हो सकते हैं। जैसे सुलेमान, रहमान और रेहान मुस्लिम नाम हैं, उसी तरह हनुमान भी मुस्लिम नाम है क्योंकि यह इन नामों से मिलता-जुलता है।"
डॉक्टरों द्वारा की गई शुरुआती जाँच व पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद यह तथ्य सामने आया कि गायों के चारे में जहर मिला कर उन्हें खिला दिया गया। इस कारण से मृत गायों के फेंफड़ों और दिल में ख़ून के थक्के पाए गए।