पश्चिम बंगाल की 5 राज्यसभा सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होने हैं। ऐसे में पश्चिम बंगाल में विधायकों के आँकड़े के लिहाज से 4 राज्यसभा सीटें टीएमसी के हिस्से में जाना तय हैं और बाकी एक सीट अन्य के खाते में जा सकती है।
2018 में आई बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद के लिए राहत कोष बनाया गया। लेकिन, इसका पैसा एक स्थानीय वामपंथी नेता के खाते में भेज दिया गया। उसने इसका इस्तेमाल एक पॉल्ट्री फॉर्म खरीदने के लिए। भेद खुला तो फरार हो गया।
“गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली चुनाव के कैंपेनिंग के दौरान कहा कि ईवीएम का बटन इतने गुस्से के साथ दबाना कि बटन यहाँ दबे और करंट शाहीन बाग के अंदर लगे। क्या कोई गृह मंत्री ऐसा भाषण दे सकता है? इसलिए मैं कहती हूँ कि अमित शाह भारत के होम मिनिस्टर नहीं हैं, वह देश के हेट मिनिस्टर का काम कर रहे हैं।”
वामपंथी अब सिर्फ़ JNU तक ही सीमित रह गए हैं। दिल्ली में उन्हें कोई पूछने वाला भी नहीं बचा। पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में उनका आधार खिसक चुका है। एक केरल में वो किसी तरह टिके हुए हैं।
कन्हैया का कार्यक्रम समाप्त होने के बाद LNMU के छात्र-छात्राओं ने पहले मंच पर झाड़ू लगाकर उसे साफ़ किया, फिर मंच को पानी से धोया। इसके बाद सिमरिया से मँगाए गए गंगा जल और फूल छिड़क कर मंच को शुद्ध किया।
कन्हैया के काफिले पर यह हमला उस वक्त हुआ, जब वो कटिहार के राजेंद्र स्टेडियम में सभा करने के बाद भागलपुर जा रहे थे। शहीद चौक के पास लोगों ने कन्हैया कुमार के विरोध में पोस्टर दिखाए और फिर आगे बढ़ने पर काफिल पर जूते-चप्पल फेंके गए।
24 घंटों के अंदर बिहार में CPI नेता कन्हैया कुमार पर दोबारा हमला किया गया। इससे पहले भी उनकी कार पर पथराव किया गया था, जिसमें उन्हें और उनके ड्राइवर दोनों को चोटें आई थीं। इस बार उनकी गाड़ी पर पथराव होने से...
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर संघर्ष मोर्चा के तत्वावधान में सीएए के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना चल रहा है। इस धरने में अभी तक CPI नेता कन्हैया कुमार, राजद पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम, माले नेता दीपांकर भट्टाचार्या, मशहूर शायर इमरान प्रताप गढ़ी माँगों के समर्थन में शामिल हो चुके हैं
सीएए और एनआरसी के खिलाफ बिहार में चल रहे प्रोपेगेंडा के तहत गाँव-गाँव घूम रहे सीपीआई के नेताओं को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा। इस दौरान लोगों ने सीपीआई नेताओं को काले झंडे तो दिखाए ही साथ ही काफ़िले में मौजूद कन्हैया कुमार के ख़िलाफ़ जमकर मुर्दाबाद के नारे भी लगाए।
वयोवृद्ध मार्क्सवादी नेता रमेश प्रजापति सीएए से नाराज़ थे। जब उन्होंने खुद को आग लगाई तब उनके पास CAA और NRC (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) को लेकर कुछ कागजात थे। उनके परिवार ने इस मामले में पुलिस से जाँच की माँग की है।