Sunday, September 1, 2024
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सीताराम येचुरी के लिए तीसरी बार भी राज्यसभा का रास्ता बंद, अपनी पार्टी के नेता ही बने रोड़ा

पोलित ब्यूरो के सदस्य प्रकाश करात के नेतृत्व में एक वर्ग का मत है कि वह कॉन्गेस के समर्थन से येचुरी के राज्यसभा जाने का समर्थन किसी भी रूप में नहीं करते हैं। उनका कहना है कि पार्टी के महासचिव का कॉन्ग्रेस के समर्थन से चुना जाना पार्टी की उस विचारधारा के खिलाफ है।

भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी के लिए तीसरी बार भी राज्यसभा तक पहुँचने का रास्ता बंद हो गया। उन्हें उच्च सदन भेजने को लेकर उनकी खुद की पार्टी में आपसी मतभेद नजर आए। बताया जा रहा है कि पार्टी की केंद्रीय समिति ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल से कॉन्ग्रेस के समर्थन से उन्हें उच्च सदन में भेजने की माँग को रद्द कर दिया।

जानकारी के अनुसार, येचुरी को तीसरी बार भी राज्यसभा भेजने से रोकने के लिए केंद्रीय समिति के 45-50 सदस्यों ने वोट किया। जबकि केवल 25-30 ने उनका समर्थन किया।

इधर, बंगाल के नेताओं का तर्क है कि यदि वह उनके दिए ऑफर यानी समर्थन का फायदा नहीं उठाते हैं तो पार्टी का उच्च सदन में पश्चिम बंगाल से कोई प्रतिनिधित्व नहीं रह जाएगा। लेकिन, CPIM के कुछ नेताओं का मत है कि यदि येचुरी निर्विरोध चुने जाते हैं तो कॉन्ग्रेस के वोट लेने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी। वहीं कुछ का तर्क है कि येचुरी को विपक्षी राजनीति में सब जानते हैं और संसद में उनकी उपस्थिति से पार्टी की राष्ट्रीय स्तर पर पैठ बढ़ेगी। 

बता दें, पश्चिम बंगाल की 5 राज्यसभा सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होने हैं। ऐसे में पश्चिम बंगाल में विधायकों के आँकड़े के लिहाज से 4 राज्यसभा सीटें टीएमसी के हिस्से में जाना तय हैं और बाकी एक सीट अन्य के खाते में जा सकती है।

ऐसे में इस एक राज्यसभा सीट पर कॉन्ग्रेस और मार्क्सवादी पार्टी मिलकर अपना कब्जा जमा सकती हैं। लेकिन, बंगाल में सीपीएम ही नहीं पूरे वामपंथी दलों को भी मिलाने के बाद इतने विधायक नहीं हो रहे हैं कि वे अपने दम पर सीताराम येचुरी को राज्यसभा भेज सकें।

हालाँकि, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि सीताराम येचुरी को राज्यसभा न भेजना एक और ऐतिहासिक गलती होगी। वहीं, पोलित ब्यूरो के सदस्य प्रकाश करात के नेतृत्व में एक वर्ग का मत है कि वह कॉन्ग्रेस के समर्थन से येचुरी के राज्यसभा जाने का समर्थन किसी भी रूप में नहीं करते हैं। उनका कहना है कि पार्टी के महासचिव का कॉन्ग्रेस के समर्थन से चुना जाना पार्टी की उस विचारधारा के खिलाफ है जिसमें उस पार्टी के साथ गठबंधन न करने का फैसला लिया गया है।

गौरतलब है कि येचुरी 2005 से 2017 तक राज्यसभा सदस्य रहे थे, लेकिन 2017 में पार्टी ने उन्हें फिर राज्यसभा में भेजने से इनकार कर दिया। हालाँकि, कॉन्ग्रेस पार्टी ने पहले भी उन्हें राज्यसभा में भेजने का ऑफर दिया था। मगर, यह तीसरी बार है जब येचुरी को राज्यसभा भेजने में उनकी पार्टी ही रोड़ा बन गई हो।

इंडिया टुडे से बातचीत में एक पार्टी लीडर ने येचुरी को राज्यसभा न भेजे जाने पर कहा कि ये पार्टी की पुरानी परंपरा है कि महासचिव इलेक्शन नहीं लड़ सकता। जबकि दूसरे नेताओं का कहना है कि राज्यसभा जाने के लिए पार्टी एक नेता को दो बार से ज्यादा नॉमिनेट नहीं किया जा सकता।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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