एक स्थानीय संस्कृत शिक्षक का कहना है कि रेलवे स्टेशनों के हिन्दी और संस्कृत में नाम लगभग एक जैसे ही रहेंगे, क्योंकि दोनों भाषाओं में देवनागरी लिपि का इस्तेमाल होता है। उन्होंने बताया, "देहरादून को संस्कृत में देहरादूनम्, हरिद्वार को हरिद्वारम् और रूड़की को रूड़कीः लिखा जाएगा।"
हाजीपुर स्टेशन से गुजर रही राजधानी एक्सप्रेस पर भी अभ्यर्थियों का ग़ुस्सा फूटा। इस दौरान उन्होंने ट्रेन पर जमकर पत्थरबाज़ी की। इससे ट्रेन के शीशे टूट गए और उसमें सवार यात्रियों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
रेल मंत्रालय ने अपने ट्वीटर हैंडल से इस वीडियो को जारी करते हुए चेतावनी दी कि इस तरह के स्टंट (Stunt) करना गैरकानूनी हैं और ये जानलेवा साबित हो सकते हैं। रेलवे ने कहा है कि अपनी सुरक्षा की अवहेलना करके ट्रेन के बाहर लटकना, चलती ट्रेन में चढ़ना, हादसे को बुलावा हो सकता है।
कई इलाक़ों में ‘रेल रोको अभियान’ और बंद का आयोजन किया गया, जिससे साउथ-ईस्ट रेलवे को 16 करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ था। ईस्टर्न रेलवे ने बताया था कि उसके 15 स्टेशनों को तबाह कर दिया गया। कई स्टेशनों पर कैश बॉक्स को लूट लिया गया। कुल मिला कर अब तक 250 करोड़ रुपयों का नुकसान की बात सामने आई थी।
सेवाओं के एकीकरण से यह ‘नौकरशाही’ खत्म हो जाएगी। इससे रेलवे के सुव्यवस्थित कामकाज को बढ़ावा मिलेगा, निर्णय लेने में तेजी आएगी, संगठन के लिए एक सुसंगत विजन सृजित होगा और तर्कसंगत निर्णय लेने को प्रोत्साहन मिलेगा। ये सुधार कई दशक से लंबित थे, जिन्हें मोदी सरकार ने पूरा किया है।
सबसे ज्यादा हिंसा पश्चिम बंगाल में हुई। उसी तरह पूर्वोत्तर में भी ऐसे कई विरोध प्रदर्शन हुए। असम में उपद्रवियों के ख़िलाफ़ 136 केस दर्ज किए गए हैं और कुल 190 आरोपितों को गिरफ़्तार किया गया है। इनमें से कई ऐसे लोग हैं, जो तरह-तरह के संगठनों से जुड़े हैं
"IRCTC द्वारा इस मामले को गंभीरता से लिया गया है और ठेकेदार को जाति के आधार पर नौकरी देने से परहेज करने का नोटिस जारी किया है और किसी भी जाति/ पंथ/ धर्म या क्षेत्र से संबंधित उपयुक्त व्यक्तियों की भर्ती करने के लिए के लिए कहा गया है।"
यह 138 किलोमीटर के 'रेलवे लाइन डबलिंग प्रोजेक्ट' में बाधा बन रहा था, जिसके कारण इसे हटाया गया। इस शस्त्रागार को शिफ्ट न किए जाने के कारण रेलवे का ये डबलिंग प्रोजेक्ट क़रीब एक दशक तक अधर में रहा।
चेन्नई रेलवे डिवीजन के अधिकारियों ने चूहे पकड़ने पर औसत खर्च को लेकर कहा कि इस तरह चूहा मारने पर खर्च का औसत निकालना गलत और अनुचित है। ये गिनती तो मरे हुए उन चूहों की है जिन्हें पकड़ा गया। जो दवा के असर से कहीं और जाकर मरे उनका हिसाब नहीं है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि एक चूहे को पकड़ने पर 22 हजार रुपए खर्च हुए।
इसी रेल खंड पर फ़रवरी 2019 में जब 'वन्दे भारत' का ट्रायल किया जा रहा था तो उस पर भी पत्थर फेंके गए थे। उस घटना में ट्रेन का साइड विंडो क्षतिग्रस्त हो गया था। मार्च में दोबारा यूपी के बदायूँ में इस ट्रेन पर पत्थरबाजी हुई थी।