Sunday, December 22, 2024

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BHU में इफ्तार पार्टी पर बवाल: वीसी लॉज के सामने हनुमान चालीसा पाठ करेगी ABVP, यूनिवर्सिटी की सफाई- वर्षों से रोजा इफ्तार

बीएचयू में रोजा इफ्तार के बाद विद्यार्थी परिषद ने वीसी लॉज के सामने हनुमान चालीसा का का पाठ करने का ऐलान किया है।

कभी लड़की का कंकाल, कभी ‘मुस्लिम का शव’… 2 साल से BHU के लापता शिव कुमार की अब ‘मौत’, पिता ने सुनाई पुलिस की...

BHU के लापता छात्र शिव कुमार को पुलिस ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अब मृत माना। लेकिन इससे पहले पीड़ित पिता को कितना दौड़ाया-सताया, पढ़िए आपबीती।

‘राम हमारे पूर्वज, उनके बिना हमारा कोई अस्तित्व नहीं’: काशी में मुस्लिम महिलाओं ने रामनवमी पर की आरती, कहा- जो राम से अलग हुआ,...

रामनवमी के अवसर पर मुस्लिम महिलाओं ने काशी में भगवान राम और माता सीता की आरती की और आशीर्वाद लेकर विश्व शांति की कामना की।

खेले मसाने में होरी दिगंबर… : काशी में महाश्मशान मणिकर्णिका पर खेली जाती है चिता-भस्म की अनोखी होली, तारक मन्त्र देने आते हैं महादेव

काशी में महादेव के साथ होली खेलने और उत्सव मनाने के लिए भूत-प्रेत, पिशाच, चुड़ैल, डाकिनी-शाकिनी, औघड़, सन्यासी, कपालिक, शैव-शाक्त सब आते हैं।

रंगभरी एकादशी: कश्मीरी पंडितों की रजत पालकी पर विराजमान महादेव कराएँगे माँ गौरा का गौना, 358 वर्षों से जीवंत है काशी की यह परम्परा,...

काशी में रंगभरी एकादशी 358 वर्षों से अपने भव्यतम स्वरूप में निरंतर निभाई जा रही है। इसके पहले कहा जाता है कि मुग़लों के शासन में लम्बे समय तक यह परंपरा बाधित रही।

आध्यात्मिक जागरण का सनातन स्वर है महाशिवरात्रि: शून्यता के उस शिखर को छू लेने की परमरात्रि जहाँ से उद्घाटित होता है शिव तत्व

महाशिवरात्रि जीव को आत्मबोध तक पहुँचाने की रात्रि है। योग परम्परा के अनुसार बात की जाए तो ख़ुद को अस्तित्व से एकाकार करने की रात।

ऋतुराज बसंत: ज्ञान, संगीत, कला की उपासना से लेकर काम और मोक्ष का जीवंत उत्सव भी, जानिए पौराणिक-सांस्कृतिक महत्व

बसंत, बसंत पंचमी, मदनोत्सव, सरस्वती पूजा, होली की प्रारम्भिक शुरुआत, श्मशान में मौत के तांडव पर भारी जीवन का उत्सव – ऋतुराज बसंत यह सब कुछ है।

दिल्ली से शुरू होगी ‘दिव्य काशी यात्रा, रेलवे ने ‘देखो अपना देश’ में जोड़ा एक और रूट: जानिए IRCTC के इस ट्रेन के बारे...

‘दिव्य काशी यात्रा’ ट्रेन आईआरसीटीसी चलाने जा रही है। इसकी शुरुआत 22 मार्च से होगी। जानिए इसके बारे में सब कुछ।

‘काशी मोक्ष की नगरी ही नहीं, जीवनदायिनी भी’: चौथे स्टेज के कैंसर से पीड़ित ब्रिटिश नागरिक पहुँचा विश्वनाथ के द्वार, 13000 km की यात्रा

13 हजार किलोमीटर साइकिल चलाकर अपनी माँ के साथ ब्रिटेन से भारत आए ल्यूक ने कहा कि मुझे यहाँ लोगों ने बहुत प्यार दिया।

काशी कब चल रहे हो? महसूस कीजिए शताब्दियों की उपेक्षा, अनदेखी और लूट के बाद पैदा हुई इस नवीनता, उत्साह और आशा को

काशी एक शहर मात्र नहीं है। यह हमारी सभ्यता की जीवंतता और चिरंतनता का जीता-जागता प्रमाण है। गंगा अगर इसके प्राण हैं तो भोलेनाथ इसका हृदय।

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