Sunday, November 17, 2024

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‘परिवारवाद’ से नहीं उबर पा रही है कॉन्ग्रेस, तीसरी लिस्ट में भी दो बड़े नेता-पुत्र किए गए शामिल

'परिवारवाद' कॉन्ग्रेस में अब सीमित न रहकर अपने विस्तार की ओर आगे बढ़ रहा है। बाक़ी नेताओं ने भी कॉन्ग्रेस में रहकर इसकी राह पकड़ ली है।

30 साल में यह पहला ऐसा चुनाव है, जब PM के अलावा कोई और PM का उम्मीदवार नहीं

ऐसे में सिर्फ एक व्यक्ति बचता है जो अभी प्रधानमंत्री है, और आगे भी हर हाल में प्रधानमंत्री बनना चाहता है। जिसके पास न अब सत्ता और षड्यंत्रों के अनुभवों की कमी है, न संसाधनों की, न समर्थकों की, न ऊर्जा की, न मुद्दों की और न ही दिलेरी की।

‘मोदी है तो मुमकिन है’ नारे के पीछे है यह वजह, बताया अरुण जेटली ने

जेटली ने प्रधानमंत्री मोदी के बारे में लिखा है, "अपनी लगातार नई बातों को सीखने की इच्छा के कारण, प्रधानमंत्री न केवल एक प्रभावशाली विद्यार्थी साबित हुए हैं बल्कि उन्होंने विदेश नीति, आर्थिक और रणनीतिक मुद्दों पर भी अपनी पकड़ मज़बूत की।"

राहुल-पाहवा ज़मीन हेराफेरी को सामने लाने के लिए ऑपइंडिया अभिनन्दन का पात्र: रविशंकर प्रसाद

उन्होंने कहा कि यहाँ दो त्रिभुज बनते हैं- एक ख़रीददारों का और एक बिक्रेताओं का। एक तरफ प्रियंका, राहुल और रॉबर्ट हैं तो दूसरी तरफ़ पाहवा, भंडारी और थम्पी है। उन्होंने पूछा कि प्रियंका गाँधी द्वारा 15 लाख रुपए में ख़रीदी गई ज़मीन 84.15 लाख रुपए में क्यों बेच दी गई?

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