कॉन्ग्रेस पार्टी के भीतर उन नेताओं को अनदेखा किया जाता है जिन्होंने संगठन और देश के लिए अपना अहम योगदान दिया, लेकिन गाँधी परिवार के वफादार नहीं माने गए।
सैम पित्रोदा के दिए बयान पर आज बवाल हो रहा है लेकिन सच ये है कि भारत की जनता की संपत्ति के पीछे कॉन्ग्रेस 2011 से पड़ी थी। तब, पी चिदंबरम ने इस मुद्दे को उठाया था।