Friday, April 19, 2024

विषय

NOTA

DUSU चुनाव में वामपंथी दल AISA और SFI के उम्मीदवारों को NOTA से भी कम मिले वोट: 16559 विद्यार्थियों ने चुना ‘इनमें से कोई...

डूसू चुनावों में वामपंथी छात्र संगठन गढ़ नॉर्थ कैंपस में भी कुछ खास कमाल नहीं कर पाए। आइसा और SFI कुछ उम्मीदवारों को नोटा से भी कम वोट मिले।

हरियाणा चुनाव परिणाम: केजरीवाल के घर में NOTA से भी पिछड़ी AAP, वामपंथी दलों की और भी हालत ख़राब

करीब एक साल पहले हुए राजस्थान के विधानसभा चुनावों में भी NOTA ने जहाँ 1.1% वोट बटोरे, वहीं आम आदमी पार्टी केवल 0.4% तक ही जा पाई।

NOTA दबाने में बिहारी मतदाता सबसे आगे, गोपालगंज रहा टॉप पर

पूरे बिहार की बात करें, तो नोटा का बटन सर्वाधिक गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र में 51,660 मतदाताओं ने दबाया, जो देश में सबसे ज्यादा है। इस सीट पर जदयू के अजय कुमार सुमन को जीत मिली, जिन्होंने राजद उम्मीदवार सुरेंद्र राम को 2.86 लाख वोटों से शिकस्त दी।

नोटा से किसका फायदा; मतदाता का, अच्छे उम्मीदवारों का या फिर बुरे उम्मीदवारों का?

देश में पांच राज्यों के लिए हुए विधानसभा चुनावों और उसके ताजा परिणामों के बाद एक बार फिर से नोटा (उपर्युक्त में से कोई नहीं) को लेकर बहस छिड़ गई है। ऐसे में इस बात पर चर्चा होना लाजिमी है कि आखिर नोटा से जनता का फायदा है या नुकसान?

आंकड़े: पांच राज्यों के चुनाव परिणामों में आप और सपा से काफी आगे निकला नोटा

पाँचों राज्यों के आंकड़ों को मिला कर देखें तो कुल पंद्रह लाख लोगों ने किसी उम्मीदवार को वोट देने कि बजाय नोटा यानी "उपर्युक्त में से कोई नहीं" का विकल्प चुनना ज्यादा बेहतर समझा। पाँचों राज्यों में नोटा का वोट शेयर 6.3% के आसपास रहा।

ताज़ा ख़बरें

प्रचलित ख़बरें

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe