पुलिस अधिकारी तनवीर अहमद ने उपद्रवियों क नेतृत्वकर्ता को सपाट शब्दों में कहा कि वो भड़का कर लोगों के भविष्य से न खेलें, ख़ासकर छात्रों के। पुलिस अधिकारी तनवीर ने उपद्रवी महिला वामपंथी को फटकारते हुए कहा- "छात्रों के करियर से मत खेलो। जाओ यहाँ से।"
मुख्यमंत्री ख़ुद स्थिति पर पैनी नज़र रख रहे हैं। उन्होंने पुलिस से कहा है कि उपद्रवियों को चिह्नित कर उनपर कड़ी कार्रवाई करें। सीएम योगी ने कहा कि उनकी सरकार उपद्रवियों की संपत्ति नीलाम कर वसूली करेगी। अफवाह फैलाने वालों पर भी निगरानी रखने के आदेश जारी किए गए हैं।
भारत में 2 लाख से अधिक श्रीलंकाई तमिल, तिब्बती और 15,000 से अधिक अफगानी, 20-25 हजार रोहिंग्या भारत में रह रहे हैं। यह उम्मीद की जाती है कि किसी दिन जब वहाँ की स्थिति में सुधार होगा तो यह शरणार्थी अपने घर वापस लौट जाएँगे। लेकिन, पाक में स्थिति सुधरेगी क्या?
11 मिनट 41 सेकंड का ऑडियो। यह ऑडियो सिर्फ दो मुस्लिम व्यक्तियों के बीच बातचीत भर का ऑडियो नहीं है। यह इंटेलिजेंस एजेंसी के सूत्रों से मिला ऑडियो है। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में केंद्र सरकार को अस्थिर करने के लिए इस साजिश की प्लानिंग लंबे समय से की गई है। इसकी पूरी फंडिंग ISIS के द्वारा हुई है।
सीएए पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए अमेरिका के स्टेट सेक्रेटरी माइक ने कहा कि सीएए को लेकर संसद में हुई लम्बी बहस को जिसने भी देखा-सुना होगा, उसे पता होगा कि इस क़ानून के द्वारा पड़ोसी देशों के पीड़ित अल्पसंख्यकों को अधिकार मिल रहा है।
गुरुवार को कई वामपंथी व मजहबी संगठनों ने बंद का आयोजन किया था। पुलिस को ख़ुफ़िया सूचना मिली कि इस्लामी संगठनों और वामपंथियों के विरोध प्रदर्शन की आड़ में कुछ देशविरोधी ताक़तें हिंसा पर उतर सकती हैं और दिल्ली की तर्ज पर बेंगलुरु में भी दंगा भड़काया जा सकता है।
संशोधित नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन के नाम पर मजहबी उन्माद फैलाने की साज़िश रची जा रही है। यहाँ तक कि मस्जिदों से घोषणा की गई ताकि उपद्रवी सड़क पर उतर कर हिंसा करें। इन घोषणाओं का परिणाम क्या हुआ, ये दिल्ली ने भुगता और पूरे देश ने देखा। खुद एक प्रदर्शनकारी ने...
"कॉन्ग्रेस नेता कमरुल इस्लाम हिंसा वाली जगह पर मौजूद था। कॉन्ग्रेस ने अपील की थी कि लोग असम सचिवालय 'जनता भवन' के पास इकट्ठे हों। एक बड़े बुद्धिजीवी ने, जो अकादमिक व्यक्ति भी है, दिल्ली में बैठ कर असम सचिवालय और गुवाहाटी को जलाने की तैयारी की थी। इसमें इस्लामी कट्टरपंथी PFI भी..."
योगेश्वर दत्त ने जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी व उसके छात्रों को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस यूनिवर्सिटी में मजहब के आधार पर आरक्षण दिया जाता है, वही यूनिवर्सिटी अब सेकुलरिज्म के लिए लड़ने का दावा कर रही है। दत्त ने इसे दोहरा रवैया करार दिया।
प्रोफेसर ने इस घटना को याद करते हुए कहा कि वो काफ़ी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस घटना ने उन्हें बुरी तरह डरा दिया है। वे सदमे में हैं।