अब तक राम मंदिर मामले को ही सबसे बड़ा माना जा रहा था, लेकिन इस पर फ़ैसला सुना दिए जाने के बाद अब सबकी निगाहें सबरीमाला मामले पर टिक गई है। धर्म और आस्था से जुड़ा यह मामला भी CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता में उनके रिटायरमेंट से पहले...
राजनाथ ने हरियाणा की पूर्ववर्ती सरकारों की कार्यशैली पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जमीनी स्तर पर काम किया है। कॉन्ग्रेस और इनेलोद के मुख्यमंत्री तो दिल्ली के इशारों पर सरकार चलाते थे।
"सभी धर्मों के लोगों को अपनी आस्था के अनुसार प्रार्थना करने का अधिकार है। यदि किसी और ने ऐसा किया होता, तब मैं इस पर कोई आपत्ति नहीं करता। मुझे लगता है कि कॉन्ग्रेस पार्टी में भी इस मामले पर राय बँटी हुई होगी। जरूरी नहीं है कि हर किसी की यही राय हो।"
"राफेल एयरक्राफ्ट पर 'ॐ' लिख कर और शस्त्र-पूजा कर के राजनाथ सिंह इसे धर्म के साथ जोड़ रहे हैं। यह औरों की तरह सिर्फ एक हथियार है, जिसे आप ख़रीद रहे हैं। दशहरा के त्योहार और राफेल का भला क्या मेल है?"
कॉन्ग्रेस अध्यक्ष बार-बार राफेल जैसे मुद्दे को जनता के बीच उछालकर प्रधानमंत्री की छवि बिगाड़ने की लगातार कोशिश करते रहे, लेकिन परिणाम स्वरूप उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ के मुताबिक उन्होंने राहुल गाँधी अवमानना मामले और राफेल पर एक ही तारीख को सुनवाई करने का फैसला किया था तो फिर आखिर में दोनों मामलों से जुड़ी तिथियाँ अलग-अलग कैसे हो गईं?
केंद्र ने हलफनामे में कहा है कि पुनर्विचार याचिकाओं पर आगे की सुनवाई का कोई आधार नहीं हैं। ऐसे में सभी याचिकाएँ खारिज की जानी चाहिए। सरकार ने कहा है कि सुरक्षा संबंधी गोपनीय दस्तावेजों के इस तरह सार्वजनिक खुलासे से देश के अस्तित्व और संप्रभुता पर खतरा है।
चुनाव आयोग ने कॉन्ग्रेस को साफ़-साफ़ कहा कि चूँकि यह मामला कोर्ट में है, इसलिए राफेल के विज्ञापन का प्रयोग करना उचित नहीं होगा। मध्य प्रदेश चुनाव आयोग के अध्यक्ष वीएलके राव ने कहा कि अगर आयोग के आदेश से किसी को आपत्ति है, तो वो आगे अपील कर सकता है।