पत्रिका 'लहरों की बरखा' चलाने वाले मदन सिंह ने इस मामले को उठाया तो उनकी हत्या कर दी गई। कई पीड़िताएँ सामाजिक कारणों से बाद में मुकर गईं। कई अब तक दादी बन चुकी हैं।
बाइक सवार 3 युवक बाईं तरफ से लड़की की मदद के लिए उसकी स्कूटी में धक्का लगा रहे थे, ताकि वो पेट्रोल पंप तक पहुँच जाए, तो बाइक सवार दाईं तरफ से चल रहे 2 युवक छेड़छाड़ कर रहे थे।