वीडियो में एक चौथी कक्षा का बच्चा बैनर लिए बोलता नजर आ रहा है, जिसे देख मन में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या उस मासूम को इस बात की जानकारी भी है कि प्रदर्शन किस चीज को लेकर है?
लोगों का पूछना है कि आखिर जिस तरह से इंडिया गेट पर सुदर्शन टीवी के साथ खड़े प्रदर्शनकारियों को हटाया गया, वैसे ही समान बल का प्रयोग शाहीन बाग में क्यों नहीं किया गया था।
यहाँ कट्टरपंथी और वामी-कामी गिरोह सत्तू-नमक बाँध कर बैठा है कि जब तक दो भी जिंदा रहेगा आपसे में ही लड़ मरेंगे, एक ही बचा तो हाथ में तलवार और पैर के अँगूठे और दूसरी उँगली के बीच में कटार फँसा कर लड़ता रहेगा। उसका जन्म ही अराजकता फैलाने के लिए हुआ है, हिंसा उसकी नियति है, हिन्दूघृणा उसका न बदल सकने वाला पाठ्यक्रम है, आग लगाना उसकी मनोवृत्ति है, दंगा उसके लिए मजहबी आयोजन है…