शरद पवार ने राहुल गाँधी पर निशाना साधते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए और आरोप लगाते समय, किसी को यह भी देखना चाहिए कि अतीत में क्या हुआ था।
उद्धव ठाकरे ने बीते दिनों एल्गार परिषद की जाँच NIA को सौंपने को मँजूरी दी थी। पवार ने उद्धव के फैसले की कड़ी आलोचना की थी। अब उनको समन जारी होने के बाद महाराष्ट्र सरकार के मतभेद और गहराने के कयास लगाए जा रहे हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ये आरोप लगाने से भी नहीं चूके कि केंद्र सरकार अपनी सारी शक्तियों का इस्तेमाल एक ख़ास अल्पसंख्यक तबके को निशाना बनाने के लिए कर रही है। पवार का मानना है कि देश के मुस्लिमों से ये साबित करने को कहा जा रहा है कि वो इस देश के नागरिक हैं या नहीं?
अजित पवार खुलकर CAA के समर्थन में आ गए हैं, जबकि उनके चाचा शरद पवार इसका विरोध कर रहे। उद्धव CAA पर तो सहमत हैं लेकिन NRC-NPR पर इनकार कर रहे। अपने CM की लाइन से हटकर अजित पवार ने NRC और NPR के लिए भी समर्थन दे दिया है, वो भी बहुत ही राजनीतिक तरीके से!
एल्गार परिषद मामले की जॉंच एनआईए को सौंप उद्धव ने एक लकीर खींची है। इसके संकेत स्पष्ट हैं। वह भले सत्ता एनसीपी और कॉन्ग्रेस के साथ बॉंट लें, लेकिन पर्दे के पीछे से बागडोर हाथ में रखने के पवार के सपनों को पूरा नहीं होने देंगे।