IAMC का यह नया सर्वेक्षण भी हिंदू अमेरिकियों को बदनाम करने के लिए एक सुनियोजित प्रयास है। इसके परिणाम और दावे संदेहास्पद हैं और सच्चाई से बहुत दूर हैं।
सुनील आम्बेकर ने स्पष्ट कहा कि जातीय जनगणना का इस्तेमाल सिर्फ चुनाव और चुनावी राजनीति के लिए नहीं होना चाहिए। यानी, राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
एक तरफ योगेंद्र यादव 'बाबासाहब के सपनों' की बात करते हुए जाति मिटाने की भी बात करते हैं, दूसरी तरफ ये भी चाहते हैं कि हर कोई अपनी जातिगत पहचान आगे करे। दोनों चीजें एक साथ कैसे हो सकती हैं?
न्यायमूर्ति अनीता सुमंत ने कहा था कि जातियों में समस्या है लेकिन यह व्यवस्था एक सदी से भी कम पुरानी है और इसका दोष पुरातन वर्ण व्यवस्था पर नहीं मढ़ा जा सकता।"