Thursday, September 12, 2024
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‘पिछड़े समूहों के जन-कल्याण के लिए हो आँकड़ों का इस्तेमाल’: जानिए कैसे कॉन्ग्रेस ने जाति जनगणना पर RSS को लेकर फैलाया झूठ, संगठन को बता दिया इसके खिलाफ

RSS की तरफ से विचार रखते हुए सुनील आम्बेकर ने स्पष्ट कहा कि जातीय जनगणना का इस्तेमाल सिर्फ चुनाव और चुनावी राजनीति के लिए नहीं होना चाहिए।

जातीय जनगणना देश में बड़ी बहस का मुद्दा बना हुआ है, राहुल गाँधी लगातार संसद से लेकर अपनी सभाओं तक में कह चुके हैं कि जातीय जनगणना होनी चाहिए। ये अलग बात है कि जब संसद में राहुल गाँधी की जाति पूछ दी गई थी तो सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव भड़क गए थे। अब कॉन्ग्रेस पार्टी ने एक वीडियो शेयर कर के ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ (RSS) को जातीय जनगणना के खिलाफ बताया है। बता दें कि केरल के पलक्कड़ में संघ की समन्वय बैठक भी चल रही है।

कॉन्ग्रेस पार्टी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो में दावा किया कि RSS ने जातिगत जनगणना का खुल कर विरोध करते हुए कहा है कि इससे समाज की एकता और अखंडता को ख़तरा हो सकता है। साथ ही पार्टी ने ‘आजतक’ की खबर का एक स्क्रीनशॉट भी शेयर किया। कॉन्ग्रेस ने कहा कि इस बयान से साफ़ है कि RSS और भाजपा जातिगत जनगणना नहीं कराना चाहते, वो दलितों, पिछड़ों और जनजातीय समाज को उनका अधिकार नहीं देना चाहते हैं।

कॉन्ग्रेस पार्टी ने इस वीडियो में राहुल गाँधी का एक बयान भी शेयर किया, जिसमें उन्होंने कहा था, “अब लिखो लो। अगर कोई सोचे कि जाति जनगणना को रोका जा सकता है तो वो सुन ले, इसको रोका नहीं जा सकता है। ये होगा ही होगा।” इस वीडियो में कॉन्ग्रेस ने आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर भी शेयर की। साथ ही RSS को गलत तरीके से चित्रित करते हुए कार्टून दिखाया। हालाँकि, सच्चाई कॉन्ग्रेस के इस दावे के उलट है।

‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ के ‘अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख’ सुनील आम्बेकर ने कहा था कि RSS ने पहले भी जातीय जनगणना पर टिप्पणी की है, हिन्दू समाज में जाति और जातियों के बीच संबंध एक संवेदनशील मुद्दा है। उन्होंने कहा था कि ये बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है, लेकिन ये हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा भी है। उन्होंने ये भी कहा था कि इस मुद्दे के साथ बेहद गंभीरता से निपटा जाना चाहिए। इसके बाद उन्होंने जो कहा वो महत्वपूर्ण है।

RSS की तरफ से विचार रखते हुए सुनील आम्बेकर ने स्पष्ट कहा कि जातीय जनगणना का इस्तेमाल सिर्फ चुनाव और चुनावी राजनीति के लिए नहीं होना चाहिए। यानी, राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि RSS मानता है कि जन-कल्याणकारी योजनाओं के लिए, खासकर उन जातियों/समूहों के लिए जो पीछे छूट गए हैं, अगर कुछ वर्गों पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है तो इसके लिए सरकार को आँकड़ों की ज़रूरत होती है।

RSS का मानना है कि पीछे छूटे समूहों को जन-कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए अगर सरकार को आँकड़ों की ज़रूरत है तो वो ये आँकड़े इकट्ठा कर सकती है। संगठन ने याद दिलाया कि पहले भी ऐसा हो चुका है। सुनील आम्बेकर ने कहा कि जातीय जनगणना का एक चुनावी या राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने सिर्फ लोगों को आगाह किया था। यानी, RSS गरीबों को लाभ के लिए जातिगत जनगणना के पक्ष में है, विरोध में होने वाली बात झूठ है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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