CAA के विरोध में जिस तरह का मजहबी उन्माद आज दिख रहा है, कुछ ऐसा ही 2001 में दिखा था। हिंदुओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया गया। छोटी-छोटी बच्चियों का रेप किया गया। अगवा कर धर्मांतरण करवाया गया। संपत्ति पर कब्जा कर हिंदुओं की हत्या की गई।
"अगर नागरिकता संशोधन विधेयक पास होता है तो यह मेरा सविनय अवज्ञा होगा कि मैं खुद को आधिकारिक रूप से मुस्लिम पंजीकृत करवा लूँगा और फिर एनआरसी को कोई भी दस्तावेज नहीं दूँगा। अपने लिए किसी अज्ञात जगह पर नजरबंद किए जाने से लेकर नागरिकता वापस लेने जैसी सजा की भी माँग करूँगा।"
"JDU द्वारा कैब को समर्थन देख निराश हुआ। यह विधेयक नागरिकता के अधिकार से धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। यह हमारी पार्टी के संविधान से मेल नहीं खाता, जिसमें पहले पन्ने पर ही धर्मनिरपेक्ष शब्द तीन बार आता है। पार्टी का नेतृत्व गाँधी के सिद्धांतों को मानने वाला है।"
"(भारत में...) धर्म नागरिकता का आधार नहीं है। धर्म भेदभाव का आधार नहीं हो सकता। राज्य धर्म के आधार पर फैसला नहीं ले सकता। नागरिकता संशोधन बिल ने मुस्लिमों को स्पष्ट रूप से बाहर रखा है। इस NRC/CAB प्रोजेक्ट में जिन्ना का पुनर्जन्म हुआ है। हिन्दू पाकिस्तान को मेरा हैलो!"
इस बिल पर शिवसेना का रुख जानना इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि महाराष्ट्र में कॉन्ग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाने के बाद से ही सबकी नजर उनके फैसले पर टिकी थी। एक साल पहले जब ये विधेयक लोकसभा में पेश हुआ था, तब शिवसेना ने पूरी तरह से...
मीडिया गिरोह ऐसे आंदोलनों की तलाश में रहता है, जहाँ अपना कुछ दाँव पर न लगे और मलाई काटने को खूब मिले। बरखा दत्त का ट्वीट इसकी प्रतिध्वनि है। यूॅं ही नहीं कहते- तू चल मैं आता हूँ, चुपड़ी रोटी खाता हूँ, ठण्डा पानी पीता हूँ, हरी डाल पर बैठा हूँ।
ओवैसी ने नागरिकता संशोधन विधेयक को करोड़ों यहूदियों की हत्या का आदेश देने वाले जर्मन तानाशाह हिटलर के कानूनों से भी बदतर बताया। साथ ही कहा कि एक ऐसा कानून लाया जा रहा है जो नागरिकता के लिए आस्था को पैमाना बनाता है।
NDTV के सम्पादक श्रीनिवासन जैन नागरिकता विधेयक को लेकर अपने ट्वीट के चंद शब्दों 'excludes a specific minority community' में हिन्दुओं के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने, उन्हें नाहक ग्लानि का अनुभव कराने और कथित अल्पसंख्यकों को बिना किसी ठोस आधार के बेचारा दिखाने का जो प्रपंच रचा है, उसे...
शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने कहा है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान सहित जिन देशों में सुन्नी बहुमत में हैं, वहॉं शिया समुदाय के साथ अमानवीय कृत्य हो रहे हैं। उनकी हत्याएँ की जा रही हैं।