रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि मौजूदा फिस्कल और मॉनिटरी पॉलिसी से सरकार का कर्ज और ब्याज दोनों कम होगा, जिससे आर्थिक लचीलापन बढ़ेगा, नतीजतन अगले 24 महीनों के भीतर ऊँची रेटिंग देखने को मिल सकती है।
देश में शहर की तुलना में गाँव में खर्च तेजी से बढ़ रहा है। गाँवों में एक व्यक्ति अब प्रतिमाह औसतन ₹3773 जबकि शहर में ₹6459 खर्च कर रहा है। दोनों के बीच अब 71% का अंतर है, जो कि 2011-12 में 84% था।