राहुल गाँधी और प्रियंका कार से कथित तौर पर पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करने के लिए जा रहे थे। वीडियो में भाई-बहनों के ठहाके की आवाज सुनाई देती है।
द वायर ने मेडिकल रिपोर्ट के तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया है। सेक्शन 16 के तहत दर्ज पीड़िता के बयान को डॉक्टर का वर्जन बताकर निष्कर्ष निकाला है कि बलात्कार हुआ था।
वायर के सिद्धार्थ वरदराजन और आरफा शेरवानी जैसे तथाकथित 'निष्पक्ष' पत्रकारों ने जानबूझकर भाजपा कार्यकर्ताओं पर प्रारंभिक हमले को नजरअंदाज कर दिया और इस घटना के बारे में आधे सच को आगे फैलाया कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने कृषि बिल विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला किया था।
कुछ लोग और वामपंथी मीडिया संगठन हैं, जिन्होंने विस्तारवादी चीनी डिजाइन के खिलाफ भारत के रुख को कमजोर करने और मोदी सरकार के खिलाफ अपने एजेंडे को पूरा करने के लिए इस संकट का इस्तेमाल किया है।
रेलवे ने उन मीडिया रिपोर्टों को नकार दिया है जिनमें दावा किया गया था कि ट्रेन, प्लेटफॉर्म और रेल परिसरों में भीख मॉंगने की अनुमति देने की योजना प्रस्तावित है।
आदिनाथ, दीपू साहनी, शोभनाथ साहनी, संतोष, विनोद, पप्पू, लल्लू साहनी जैसे कई और निषाद समाज के लोगों से भी ऑपइंडिया ने बात की, सबने मीडिया में चल रहे 18 दिन से 350 परिवारों के भूखे रहने वाली मनगढंत थ्योरी को नकारा है।