Saturday, April 27, 2024
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GDP पर झूठ फैला रहा था इंडिया टुडे ग्रुप का बिजनेस टुडे… लोगों ने खोल दी पोल, करना पड़ा ट्वीट डिलीट

"भारत की GDP ग्रोथ -23.9% साल दर साल (YOY) की तुलना के हिसाब से, जबकि अमेरिका की तिमाही (QoQ) तुलना से -9.5%... अगर ईमानदारी से पत्रकारिता होती तो अमेरिका -38% पर होता। लेकिन ये बातें कौन बिजनेस टुडे को समझाए।”

कोरोना महामारी के कारण सभी काम ठप्प होने से अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है। ऐसे में केवल सोशल मीडिया पर फेक न्यूज फैलाने का कारोबार ही तेजी से चल रहा है। हाल में यह काम भारत की जीडीपी की तुलना अन्य देशों की जीडीपी से करते हुए बिजनेस टुडे ने की।

बिजनेस टुडे ने एक ग्राफ शेयर किया। इस ग्राफ में संस्थान ने G7 देशों की जीडीपी ग्रोथ दर्शाई। ग्राफ में दावा किया गया कि यह जीडीपी ग्रोथ का आँकड़ा अप्रैल-जून 2020 के बीच का है। हालाँकि आलोक वाजपेयी नाम के ट्विटर यूजर ने इसकी पोल खोल कर रख दी। 

उन्होंने दावा किया कि बिजनेस टुडे जो ग्राफ सोशल मीडिया पर फैला रहा है, उसमें भारत के आँकड़े Q2 YOY (इस वर्ष की तिमाही की तुलना पिछले साल की तिमाही से करना) पैमाने पर हैं। जबकि बाकी देश के आँकड़े  QoQ (Q2 Vs Q1) 2020 के पैमाने (इस वर्ष की तिमाही की तुलना इसी वर्ष की किसी अन्य तिमाही से करना) पर। अगर यही पैमाना सबके लिए रखा जाता तो अमेरिका की जीडीपी -33%, कनाडा की -38.7% फ्रांस की -18.9% और इटली की -17.7% होती।

यहाँ बता दें कि बिजनेस टुडे ने जिस समय भारत की जीडीपी -23.9% दिखाकर यह बताना चाहा है कि कोरोना में नुकसान भले ही सबको हुआ है, मगर इसका असर भारत पर सबसे ज्यादा पड़ा है। उस समय, गौर करने लायक बात यह है कि तुलना के समय किसी भी चीज का पैमाना एक बराबर रखना सबसे प्रमुख शर्त होती है। 

मसलन, यदि कोई व्यक्ति अपने व्यवसाय में हुए नफा-नुकसान की तुलना अपने प्रतिद्वंद्वी से करता है तो वह उसके उतने ही नफा-नुकसान को समझने के लिए एक समय सीमा निर्धारित करता है और फिर दोनों के प्रॉफिट-लॉस की तुलना करता है। 

Q2 YOY और QoQ (Q2 Vs Q1) में अंतर

जैसे यदि किसी व्यापारी को साल 2018 के Q1 (साल के पहले तीन महीने- जनवरी-फरवरी- मार्च) से लेकर साल 2019 के Q1 में अपने व्यवसाय में 20% का फायदा हुआ है, तो वह इसी अवधि (साल 2018 के Q1 से साल 2019 का Q1) में अपने प्रतिद्वंद्वी को हुए फायदे को मापता है। ऐसा नहीं होता कि वह अपने सालाना मुनाफे को उसके मासिक मुनाफे से तुलना करेगा।

अब यही गणित शायद बिजनेस टुडे ने आँकड़े दर्शाते हुए सबके सामने रखना जरूरी नहीं समझा। आलोक बाजपेयी के अनुसार उन्होंने Q2 यानी साल के अगले तीन मास, जैसे- अप्रैल, मई, जून की जीडीपी की तुलना साल दर साल वाले पैमाने से (Year to Year) से की। वहीं, अन्य देशों की जीडीपी ग्रोथ की तुलना एक ही साल के दो क्वार्टर में की। यानी अप्रैल-मई-जून 2020 की तुलना साल 2020 के जनवरी, फरवरी, मार्च से। 

आलोक बाजपेयी आगे लिखते हैं, “और यह सारा इतिहास है। यदि हम सभी नकारात्मकता पर कम समय और उत्पादकता पर अधिक समय खर्च करते हैं, तो भारत इस महामारी के दूसरे पक्ष की तुलना में अधिक मजबूत होगा।”

वह यह भी कहते हैं कि -23.9 % केवल वर्ष दर वर्ष का आँकड़ा है। मुमकिन है कि साल 2021 में ऐसी ही तुलना में +40% बढ़त देखने को मिले। इसलिए जरूरी है कि हम अपनी शक्तियों से इन तीन महीनों को बेहतर बनाने का प्रयास करें। आशा है कि आज जो रो रहे हैं, वो कल खुशी में शामिल होंगे।

इसी प्रकार अर्थशास्त्री सुरजीत भल्ला बिजनेस टुडे के फर्जी आँकड़े देखकर लिखते हैं, “इस महामारी ने भारत की पत्रकारिता पर असर डाला है। अब कोई फेक न्यूज फैलाने से नहीं डर रहा। ये बिजनेस टुडे का चार्ट दिखाता है कि भारत की जीडीपी ग्रोथ -23.9% साल दर साल (YOY) की तुलना के हिसाब से है, जबकि अमेरिका की तिमाही (QoQ) तुलना से यह -9.5% निकल कर आती है। अगर ईमानदारी से पत्रकारिता होती तो यूएस -38% होता। लेकिन ये बातें कौन बिजनेस टुडे को समझाए।”

यहाँ बता दें कि इनके अलावा एक आँकड़ो की लिस्ट और सामने आई है, जिसमें कई देशों के वित्तीय वर्ष तक की जीडीपी बताई जा रही है। इसमें यूएस की जीडीपी ग्रोथ -32.9%, चीन की 3.2%, जापान की -27.8%, जर्मनी की -34.7%, भारत की -23.9% और यूके की -20.4% दिखाई गई है। वहीं बिजनेस टुडे में जापान की जीडीपी ग्रोथ -7.6 है। जर्मनी की -10.1 % है और यूएस की -9.5% है।

उल्लेखनीय है कि बिजनेस टुडे के इस फर्जी दावे के बाद से कई अर्थशास्त्री अपने अपने स्तर जीडीपी ग्रोथ का प्रतिशत ट्विटर पर साझा कर रहे हैं। जिसके कारण संस्थान को अपना ग्राफ भी डिलीट करना पड़ा। अर्थशास्त्रियों द्वारा शेयर किए जा रहे कुछ आँकड़े एक दूसरे से मिलते हैं और कुछ थोड़े से अलग हैं।

हालाँकि, बावजूद इसके हर किसी का यही कहना है कि बिजनेस टुडे ने जीडीपी को आधार पर बनाकर अपना एजेंडा चलाया है। जबकि वास्तविकता सब जानते हैं कि कोरोना के कारण देश में हर काम बंद था। न कोई उत्पादन हो रहा था और न ही कोई आय हो रही थी। इसलिए, यदि काम होते हुए ये प्रतिशत इतना गिरा होता और लोग आलोचना करते तब समझ आता। मगर, सब जानने के बाद जैसे दर्शाया गया है, वह केवल वामपंथी मीडिया के प्रोपेगेंडा को दर्शाता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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