राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करने वालों में हैदराबाद के लोकसभा सांसद प्रमुख हैं। उन्होंने फैसले पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा था कि खैरात में पाँच एकड़ जमीन नहीं चाहिए।
"शिया वक्फ बोर्ड ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के फैसले से बिलकुल इत्तेफाक नहीं रखता, न ही वह एआईएमपीएलबी का हिस्सा है। रिज़वी ने यह भी कहा कि देश के मुसलमानों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है।"
राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी अशोभनीय हरकत की थी। उन्होंने अदालत में दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में पेश किए गए नक्शे को फाड़ दिया था। उनकी इस हरकत पर सीजेआई ने काफी नाराजगी जताई थी।
मामले के दो मुख्य पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड और इकबाल अंसारी ने पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करने का फैसला किया है। एआईएमपीएलबी ने कहा है कि इस फैसले से न उसे फर्क पड़ता है और न इसका उसकी याचिका पर कानूनी तौर पर कोई फर्क पड़ेगा।
लेखक, indiafacts.org और अद्वैत एकेडमी के सम्पादक व धर्मशास्त्रों के जाने-माने टिप्पणीकार नितिन श्रीधर ने धर्म से जुड़े कई पक्षों पर ऑपइंडिया से बात की, जिसमें राजनीति, लोकतंत्र के बारे में दृष्टिकोण, हाल ही में आए सबरीमाला और राम मंदिर के फैसले, धर्म की व्यवहारिक परिभाषा आदि शामिल थे। पेश है इस साक्षात्कार के मुख्य हिस्सों का सारांश:
न्याय तलाशते वामपंथी बहुत पीछे जाते हैं तो 1528 में पहुँचते हैं जहाँ रहमदिल, आलमपनाह बाबर, जिसके माता और पिता पक्ष पर करोड़ों हत्याओं का रक्त है, कंधे पर पत्थर उठा कर एक जंगल-झाड़ में, छेनी-हथौड़ा से कूटते हुए मस्जिद बनाता दिखता है।
जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर राम मंदिर पर फ़ैसला देने वाली सुप्रीम कोर्ट की पाँच जजों की पीठ का हिस्सा थे। यह उस पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने ट्रिपल तलाक़ को असंवैधानिक घोषित किया था। इस्लामिक संगठन PFI से ख़तरे को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने...
"परमहंस दास, जिनका मूल नाम उदय नारायण दास है, वे स्व-घोषित महंत और जगतगुरु थे और उन्होंने संत के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया। साथी संतों से परमहंस दास को अपने दायरे में शरण न देने का भी आग्रह करता हूँ।"