कोतवाली थानाध्यक्ष ने बताया कि मूर्ति विसर्जन के दौरान जामा मस्जिद के पास कुछ शरारती तत्वों ने माहौल बिगाड़ने की कोशिश की। साथ ही थानाध्यक्ष ने 12 लोगों को गिरफ़्तार किए जाने की पुष्टि की। सभी को कोर्ट में पेशी के बाद जेल भेज दिया गया।
"तीन भाइयों- आसिफ़, हाफिज़ और अनीस के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। ये मृत बंदर के इर्द-गिर्द घूम रहे थे और उनमें से एक ने बंदर को गोली मार दी। बंदर की पीठ पर गोली लगी और कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई।" हिंदू मान्यता के अनुसार बंदर को भगवान हनुमान का रूप कहा जाता है।
छात्र संघ ने निदेशक को चेतावनी दी थी कि एनआईटी मेघालय में भगवान गणेश की मूर्ति को मुख्य रूप से परिसर में स्थापित करने के फैसले से ईसाई बहुमत वाले राज्य में ‘सांप्रदायिक तनाव’ पैदा हो सकता है।
इस झड़प में दो वयस्क समेत और एक बच्ची गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों का अभी अस्पताल में चल रहा है। इस घटना में गंभीर रूप से घायलों में गौरी देवी, दीपक नल्लीक और 12 वर्षीय मिस्टी शामिल है।
फारुख ने बताया कि वह कुछ साल पहले एक इज्तमा में शामिल हुआ था। इसमें तकरीर से प्रभावित होकर उसने दाढ़ी बढ़ा ली थी। अब कुछ दिन से गर्मी अधिक होने के कारण वह दाढ़ी से परेशान था और दाढ़ी कटवाना चाह रहा था। लेकिन, समाज व धर्म का भय था। इसलिए उसने जबरदस्ती दाढ़ी कटवाने की झूठी कहानी बनाई।
उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। इसमें सांप्रदायिक दंगों के खिलाफ सतर्क रहने की सलाह दी गई है। साथ ही हिंसा को रोकने के लिए पुलिस से मॉक ड्रिल चलाने का निर्देश भी जारी किया गया है।
उग्र ग्रामीणों ने पुलिस पर आरोपित शाबिर के साथ मिलीभगत का आरोप लगाते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। कुछ आक्रोशित लोगों ने गाँव की मस्जिद में नमाज रुकवा दिया, कुछ ने आरोपित शाबिर के घर पर हमला भी बोला।
पीड़ित पक्ष का आरोप है कि इस मामले में एकतरफा कार्रवाई करते हुए पुलिस ने पीड़ित पक्ष के ही तीन युवकों को हिरासत में ले लिया। ग्रामीणों ने जब थाना पहुँच कर विरोध प्रदर्शन किया और हिंदूवादी संगठनों ने आवाज़ उठाई, तब जाकर उक्त युवकों को छोड़ा गया।
दूसरे समुदाय के युवक दलित युवक से इसलिए नाराज थे क्योंकि वो मंदिर में लाउडस्पीकर पर भजन चला रहा था। इसके बाद गाँव में दोनों मजहबों के बीच हिंसक झड़प शुरू हो गई जिसमें दोनों पक्षों के बीच लाठी-डंडे चलने लगे और पथराव भी हुआ।