बिहार चुनाव में टिकट न मिल पाने के कारण लाल सलाम वाले कन्हैया कुमार का कहना है कि वह किसी विचारधारा का चेहरा नहीं हैं जबकि ये बात जगजाहिर है कि जेएनयू में ‘आजादीईईई’ के नारे लगाने से लेकर वामपंथी पार्टी से चुनाव लड़ने तक उन्होंने किस आइडियोलॉजी का समर्थन किया।
आज उनकी ऐसे ही ‘दोगलेपन’ के कारण उन्हें केवल कामभक्त माओवंशी लमप्ट समुदाय और गिरोह विशेष के पत्रकार और R&Dtv जैसे संस्थान ही इज्जत देते हैं।
यही कारण है जब ऑपइंडिया संपादक ने उनसे बातचीत की तो उन्हें कई दफा शर्मिंदा होना पड़ा। कभी उन्होंने ‘संघी-संघी’ कहकर जवाब देने में टाल-मटोल किया, तो कभी स्थान विशेष का ही मतलब पूछ लिया।
साक्षात्कार में अजीत भारती ने उन्हें निर्दलीय चुनाव ल़ड़ने की सलाह भी दी, मगर लिंगलहरी बनकर मूत्र विसर्जन करने वाले कन्हैबा ने साफ कहा कि वो अब जिला परिसद का चुनाव देखेंगे और पंचायत चुनावों को ही अपना टारगेट लेकर चलेंगे।
पूरा वीडिया यहाँ लिंक करके देखें