भारत में शिक्षा व्यवस्था के क्या हाल हैं ये किसी से छिपा नहीं हैं। देश में सरकारी स्कूलों की हालत बिलकुल जर्जर है। बड़े-बड़े शैक्षणिक संस्थानों की स्थिति चरमराई हुई है। छात्र-छात्राओं का उद्देश्य आज केवल एग्जाम पास करना रह गया है। IIT से लेकर डीयू तक में अलग-अलग समस्याएँ हैं। बच्चे स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर शिक्षा ग्रहण करते हुए भी केवल रट्टा मारकर उत्तीर्ण होना चाहते हैं। जबकि इस लेवल पर तो छात्रों के भीतर विश्लेषणात्मक गुण विकसित होना सबसे महत्तवपूर्ण होता है।
सरकार ऐसी ही शिक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लेकर आई है। इस नई शिक्षा नीति के जरिए सरकार का मुख्य जोर शिक्षा में समानता पर है और साथ ही सभी को गुणवत्ता वाली शिक्षा की जद में कैसे लाया जाए, इस पर जोर दिया गया है। लेकिन, बावजूद इसके सवाल ये है कि NEP में है क्या?
इसे लेकर आपने अभी तक कई विश्लेषण सोशल मीडिया पर देख लिए होंगे। या हो सकता है आपने इस विषय पर कई जगह बिंदुवार तरीके से पढ़ भी लिया हो। वामपंथी तो इसे बिना पढ़े ही इस पर ज्ञान बाँच रहे हैं। सीताराम येचुरी जैसे बुद्धिजीवियों ने तो इसे बिलकुल खारिज कर दिया है। ऐसे में ऑपइंडिया संपादक ने पूरा 70 पेज का डॉक्यूमेंट पढ़ा। जिसे मूल दस्तावेज का सारांश बताया जा रहा है।