भारत में हिंदुओं के हर त्योहार के पहले वामपंथियों, जकातियों, इस्लामी कट्टरपंथियों का एक गिरोह अचानक से सक्रिय हो जाता है। वह हर त्योहार में ये ज्ञान देने लगता है कि कहाँ क्या गलत है? इनके ऐसा करने का एक ही उद्देश्य होता है गाली सुनना और फिर इसको लेकर विक्टिम कार्ड खेलना। महिला होने का मतलब ये नहीं कि बेहूदगी करते रहो और सामने वाला सहता रहे कि ये तो महिला है, इसे कैसे जवाब दें?
हाल ही में कठुआ कांड में कुख्याति पाने वाली दीपिका नामक वकील ने किसी के द्वारा बनाए गए कार्टून को शेयर किया, जसमें नवरात्रि को लेकर भद्दा सा चित्रण था। दीपिका ने स्पष्ट रूप से लिखा नहीं था कि वो अपनी व्यथा कह रही है या कुछ और। अगर उनके घर में ऐसा होता है तो मेरी सहानुभूति उनके साथ है, अगर नहीं तो समाज के बारे में बेहूदगी दिखाने की आवश्यकता नहीं है।