बेंगलुरु के दंगे की अगर आप पूरी डिटेल को न भी देखें कि सड़क पर कितने लोग उतरे, किसने क्या किया, तो भी समझ जाएँगे कि ये काम किसका है, किस स्टाइल में होता है और हर बार इसका स्क्रीनप्ले पूर्वनियोजित तरीके से लिखा हुआ रहता है। ये हर जगह सेम स्क्रिप्ट इस्तेमाल करते हैं, चाहे वो दिल्ली हो, यूपी हो, गुजरात हो या फिर झारखंड।
इनका स्क्रिप्ट ये है कि ये बहुत आहत होने वाले समुदाय हैं। और इनका शिकार होते हैं काफिर और स्टेट मशीनरी। जब इनकी जनसंख्या 1% होगी, ये सहिष्णु बनकर रहने का दिखावा करेंगे, मगर जैसे-जैसे ये बढ़ता है, ये अपना दायरा बढ़ाते हैं और उसमें किसी को आने की इजाजत नहीं देते। फिर ये नीचता दिखाते हुए महिलाओं से छेड़छाड़ करते हैं। 10% पर पहुँचने पर दंगा भड़काते हैं। दंगा भड़काने का इनका मकसद होता है कि हम तुम्हें बता रहे हैं कि हमारी ताकत क्या है।
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