उत्तराखंड के देवलसारी स्थित कोणेश्वर महादेव मंदिर बनने के पीछे की मान्यता है कि एक दिन भगवान शिव यहाँ पर घूमने आए। उन्हें यह जगह बहुत अच्छी लगी। उन्होंने साधु का वेश बनाकर ग्रामीणों से यहाँ पर बसने के लिए थोड़ी सी जगह माँगी। मगर ग्रामीणों ने यह कहकर मना कर दिया कि यहाँ पर जौ के खेत हैं। इसलिए उन्हें बसने के लिए नहीं दे सकते।
भगवान शिव ने रातोंरात सारे जौ के खेतों को देवदार में बदल दिया। इस तरह से मंदिर का निर्माण हुआ। यहाँ पर मंदिर के बाहर के दो पत्थरों की कहानी है कि यह एक शिवलिंग था। एक गौमाता यहाँ पर सुबह-शाम आकर दूध गिराकर चली जाती थी। घर पर किसान को गाय का दूध ही नहीं मिलता था। जब किसान को यह बात पता चली तो उसने हथौड़े से पत्थर पर वार किया, पत्थर का तो कुछ नहीं हुआ, हथौड़ा टूट गया। इसके बाद से मंदिर में आने वाले ग्रामीण पत्थर की भी पूजा करने लगे।
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