दिल्ली में हुए दंगों के लिए जिस तरह से तमाम वामपंथी मीडिया कपिल मिश्रा को जिम्मेदार बताने पर तुला है, वो बताता है कि फर्जी नैरेटिव गढ़ना इनकी प्रवृत्ति रही है और ये कट्टरपंथियों के कुकृत्यों पे पर्दा डालने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। दंगे से ठीक एक दिन पहले ताहिर हुसैन की छत पर एक ट्रक पत्थरों का जमा होना, फैसल फारुक के राजधानी स्कूल की छत पर भारी मात्रा में एसिड, पेट्रोल बम, बम बनाने का सामान जमा होना ये बताता है कि इसकी योजना काफी पहले से चल रही थी और इन लोगों ने हिन्दुओं की हत्या करने और उनके घरों-दुकानों को जलाने का मन पहले से बना लिया था।
दिल्ली दंगों पर बात करते हुए कपिल मिश्रा ने कहा कि ये दंगे कट्टरपंथियों के हिंसा करने के दशकों के ट्रैक रिकॉर्ड को बताते हैं। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से सिर्फ सड़क को खुलवाने की बात की क्योंकि इससे वहाँ के स्थानीय लोगों को परेशानी हो रही थी। उन्होंने सवाल किया कि आखिर इसमें ऐसी कौन सी बात थी, जिसकी वजह से शाहरुख बंदूक लेकर गलियों में घूमने लगा, आईबी के अंकित शर्मा को चार सौ बार चाकुओं से गोदा गया और कॉन्स्टेबल रतन लाल को इरादतन घेरकर मार डाला गया।
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